उज्जैन। कार्तिक पूर्णिमा पर आज शुक्रवार सुबह से शिप्रा नदी में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान शुरू कर दिया था। बाहर से आए लोग स्नान के बाद दीपदान भी कर रहे थे। वहीं आज शाम को रामघाट से लेकर छोटे पुल तक घाटों पर बड़ी संख्या में लोग दीपदान करने आएंगे और शिप्रा का आंचल दीपों की रोशनी से जगमगाएगा। आज से कार्तिक मेले में भी लोगों की भीड़ लगना शुरु होगी।
उल्लेखनीय है कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शिप्रा नदी में स्नान करने तथा उसके बाद नदी में आटे के दीपक जलाकर प्रवाहित करने की परम्परा है। आज कार्तिक पूर्णिमा होने से शुक्रवार सुबह मोक्षदायिनी शिप्रा में स्नान के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। कार्तिक पूर्णिमा पर रामघाट पर पर्व स्नान सुबह से शुरू हो गया था।श्रद्धालुओं द्वारा शिप्रा स्नान कर दान-पुण्य किया जा रहा था। वहीं आज महीने भर से कार्तिक स्नान कर रही महिलाओं ने पूर्णिमा स्नान का समापन किया। आज शाम को राधा-दामोदर एवं तुलसी का पूजन कर दीपदान किया जाएगा। इस दौरान रामघाट से लेकर छोटे पुल तक शिप्रा किनारे बने घाटों पर दीपदान करने वालों की भीड़ उमड़ेगी और दीपों की रोशनी से शिप्रा का आंचल जगमगा उठेगा। इधर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आज ग्रामीण अंचलों से आए श्रद्धालुओं ने शिप्रा में स्नान कर देव दर्शन किए। हजारों दीपक नदी में सुबह से जगमग करते हुए दिखाई दिए। आज शाम से शिप्रा तट पर कार्तिक मेले में भी भीड़ उमडऩा शुरु हो जाएगी। कार्तिक मेला पूरे महीने चलेगा। हालांकि अभी भी यहां खाने-पीने से लेकर मीना बाजार की दुकानें पूरी तरह नहीं बन पाई है। अगले तीन-चार दिनों में मेला व्यवस्थित लगने लगेगा। यहां बड़े झूले खड़े हो गए हैं।
पुराणों मे है दीपदान का उल्लेख…
पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि शिप्रा नदी में दीपक छोडऩे के लिए ग्रामीण अंचलों तथा बाहर से भी हजारों की तादाद में लोग पहुंचते है। पुराणों के उल्लेख है कि जो मनुष्य मंदिर और घर के मंदिर में दीप दान करता है, वह सभी सुखों को प्राप्त करता है। पद्मपुराण के अनुसार मंदिरों में और नदी के किनारे दीपदान करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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