मुंबई (Mumbai)। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ ने गुरुवार को शिंदे बनाम ठाकरे के मामले (Shinde vs Thackeray case) में अहम फैसला सुनाया और माना कि यदि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) इस्तीफा नहीं देते तो उन्हें राहत मिल सकती थी। उम्मीद के मुताबिक, संविधान पीठ ने अब महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर (maharashtra assembly speaker) से 16 शिवसेना विधायकों (16 Shiv Sena MLAs) के भाग्य का फैसला करने के लिए कहा है, जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) भी शामिल हैं। यानि स्पीकर अध्यक्ष राहुल नार्वेकर (Rahul Narvekar) के पाले में गेंद आ गई है और अब वह तय करेंगे कि इन विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए भारतीय संविधान की 10 वीं अनुसूची के अनुसार अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए या नहीं।
तब डिप्टी स्पीकर ने जारी किया था व्हिप
शिवसेना नेता और महाराष्ट्र विधानसभा के तत्कालीन स्पीकर सुनील प्रभु की अनुपस्थिति में इन सभी विधायकों को 23 जून, 2022 को अयोग्यता के नोटिस एनसीपी से ताल्लुक रखने वाले डिप्टी स्पीकर नरहरि ज़िरवाल द्वारा जारी किए गए थे. तब ये विधायक उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करके गुवाहाटी चले गए थे. उद्धव ठाकरे द्वारा नियुक्त पार्टी व्हिप ने इनके खिलाफ याचिका दायर की थी।
जल्द फैसला लें स्पीकर
उद्धव ठाकरे के अनुरोध पर सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 226 और अनुच्छेद 32 के तहत विशेष शक्तियों का उपयोग करने से इनकार कर दिया और कहा, ‘तात्कालिक मामले में ऐसी कोई असाधारण परिस्थितियां नहीं हैं जिस पर अदालत द्वारा अयोग्यता याचिका पर निर्णय लिया जा सके। ‘इन अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने का अधिकार स्पीकर को इस शर्त के साथ सौंप दिया कि उन्हें (स्पीकर)’उचित अवधि के भीतर अयोग्यता का फैसला करना होगा।’ इसका अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय अपेक्षा करता है कि स्पीकर को अयोग्यता के मामले पर जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए और मामले को लटकाना नहीं चाहिए. और ना ही विधानसभा के कार्यकाल पूरा होने तक का इंतजार करना चाहिए, जिसके बाद याचिका खत्म हो जाएगी।
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