भोपाल। श्योपुर जिले में पैदा हो रहा धान अब श्योपुर बासमती के नाम से अपनी पहचान भी बनाएगा। इसके लिए प्रशासन की पहल पर एनआरएलएम की आजीविका प्रोड्यूशर कंपनी न केवल धान की छोटी मिलर मशीनें लगाएगी बल्कि श्योपुर बासमती नाम से चावल की ब्रांडिंग भी करेगी। जल्द ही श्योपुर जिले में तीन जगह मशीनें स्थापित की जाएगी, जिसके लिए कवायद शुरू हो गई है। जानकारी के अनुसार श्योपुर जिले में साल दर साल धान का रकबा बढ़ता जा रहा है और यहां का धान उच्च क्वालिटी का होता है। चूंकि मध्यप्रदेश के धान को बासमती का जीआई टैग नहीं है, लिहाजा यहां का सारा धान पंजाब-हरियाणा के जीआई टैग से विदेशों में निर्यात होता है। ऐसे में अच्छी क्वालिटी होने के बाद भी श्योपुर के बासमती धान को पहचान नहीं मिल पा रही है। इसी के चलते अब प्रशासन ने एक पहल की है कि जिसमें छोटी धान मिलर मशीनें लगाकर चावल को श्योपुर के ब्रांड के नाम से ही स्थानीय स्तर पर और बाहर विक्रय किया जाएगा।
समूह की महिलाएं संचालित करेंगी प्लांट
आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश और महिला सशक्तिकरण के तहत धान मिलर के इन तीनों प्लांटों का संचालन एनआरएलएम के स्वसहायता समूहों की महिलाएं करेंगी। इन प्लांटों से निकाले जाने वाला चावल स्थानीय जिले के बाजारों सहित बाहर भी भेजा जाएगा। विशेष बात यह है कि तीनों प्लांटों में धान के चावल निकालने की प्रक्रिया के साथ ही गेहूं का आटा और विभिन्न प्रकार के मशाले बनाने का भी काम किया जाएगा।
42 हजार हेक्टेयर में हुआ है धान
श्योपुर जिले में धान का रकबा बढ़ रहा है। इस वर्ष ही 42 हजार हेक्टेयर में धान का उत्पादन हुआ है। जिसके चलते जहां कोटा मंडी में तो धान जा ही रहा है, वहीं श्योपुर मंडी में भी पहली बार 2 लाख क्ंिवटल से ज्यादा की खरीदी हो गई है। यही वजह है कि प्रशासन ने एक जिला एक उत्पाद कार्यक्रम में अमरूद के अलावा धान को भी शामिल किया है।
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