ढाका । बांग्लादेश (Bangladesh) की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (sheikh hasina) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. वहां की पुलिस ने शेख हसीना पर शिकंजा कसने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. अब खबर है कि बांग्लादेश पुलिस (Bangladesh Police) के नेशनल सेंट्रल ब्यूरो (NCB) ने इंटरपोल से 12 लोगों के खिलाफ रेड नोटिस जारी करने का अनुरोध किया है. इस सूची में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना का नाम भी शामिल है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 77 वर्षीय शेख हसीना पिछले साल 5 अगस्त से भारत में रह रही हैं. राजधानी ढाका में उग्र छात्र आंदोलन के बाद हसीना बांग्लादेश से भाग आईं थीं. इस आंदोलन ने उनकी पार्टी अवामी लीग (एएल) के 16 साल के शासन को समाप्त कर दिया था.
बांग्लादेश पुलिस ने क्या कहा…
द डेली स्टार के अनुसार, NCB ऐसे अनुरोधों को अदालतों, लोक अभियोजकों या जांच एजेंसियों की अपीलों के आधार पर प्रक्रिया में लाता है. सहायक पुलिस महानिरीक्षक (मीडिया) एनामुल हक सागर ने पुलिस मुख्यालय में कहा, ये आवेदन उन आरोपों के संबंध में दायर किए जाते हैं, जो जांच के दौरान या किसी चल रही केस प्रोसिडिंग में सामने आते हैं.
रेड नोटिस का उपयोग इंटरपोल द्वारा किसी व्यक्ति की अस्थायी गिरफ्तारी के लिए किया जाता है, ताकि प्रत्यर्पण या अन्य कानूनी प्रक्रिया की जा सके. इंटरपोल विदेशों में रह रहे भगोड़ों का पता लगाने में मदद करता है और एक बार पुष्टि हो जाने पर संबंधित अधिकारियों को यह जानकारी साझा की जाती है.
बांग्लादेश में जारी हो चुके गिरफ्तारी वारंट
बांग्लादेश में 8 अगस्त को अंतरिम सरकार ने देश की बागडोर संभाली थी और इस सरकार में मुहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार की जिम्मेदारी मिली थी. यूनुस के पद संभालने के कुछ ही हफ्तों बाद बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने हसीना और कई पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, सलाहकारों, सैन्य और नागरिक अधिकारियों के खिलाफ ‘मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार’ के आरोपों में गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे.
पिछले साल नवंबर में ICT के मुख्य अभियोजक कार्यालय ने पुलिस मुख्यालय से हसीना और अन्य भगोड़ों की गिरफ्तारी में इंटरपोल की मदद लेने का औपचारिक अनुरोध किया था. 21 जनवरी को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा था कि वो अपदस्थ हसीना को भारत से वापस लाने के प्रयास जारी रखेगी और यदि जरूरत हुई तो अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप भी मांगा जाएगा.
रेड कॉर्नर नोटिस क्या होता है?
रेड कॉर्नर नोटिस कोई गिरफ्तारी वारंट नहीं होता है. यह एक अनुरोध होता है इंटरपोल सदस्य देशों से कि वे उस व्यक्ति को अस्थायी रूप से गिरफ्तार करें ताकि उसे प्रत्यर्पण के लिए तैयार किया जा सके. यानी गिरफ्तारी जरूरी नहीं है. ये सदस्य देश की मर्जी पर निर्भर करता है.
आगे क्या हो सकता है?
हालांकि, जानकारों का कहना है कि अगर इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी करता है तब भी शेख हसीना का प्रत्यर्पण पूरी तरह भारत पर निर्भर करेगा. इंटरपोल के नोटिस पर सीधे गिरफ्तारी करने के लिए भारत कानूनी रूप से बाध्य नहीं है. भारत पहले देखेगा कि क्या बांग्लादेश के साथ प्रत्यर्पण संधि है? क्या आरोप राजनीतिक प्रकृति के हैं? अगर ऐसा है तो भारत इनकार भी कर सकता है. इसके अलावा, भारत की अपनी राजनीतिक और कूटनीतिक प्राथमिकताएं क्या हैं? अगर भारत को लगता है कि हसीना को प्रत्यर्पित करना राजनीतिक उत्पीड़न जैसा होगा तो वो मना कर सकता है.
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