नई दिल्ली (New Delhi) । जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) की पूर्व छात्रनेता शेहला रशीद (Shehla Rasheed) ने महिलाओं (women) के अधिकारों के लिए बात की है कि वे हिजाब पहनना चाहती हैं या नहीं, यह वह खुद तय कर सकती हैं। पूर्व छात्र नेता ने कहा कि जब वह छोटी थीं तो वह हिजाब पहनती थीं और हिजाब पहनने का विकल्प लड़कियों पर छोड़ देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं आपको अपना व्यक्तिगत विचार बताऊंगी क्योंकि मैंने 12वीं कक्षा में हिजाब पहना था और मैं उस समय बहुत सारा इस्लामी साहित्य पढ़ रही थी और मैं इसमें बहुत गहराई तक गई और मुझे एहसास हुआ कि मुझे यह करना चाहिए, लेकिन थोड़ी देर बाद, मैंने इसे खुद ही छोड़ दिया।
घर से निकलने का पासपोर्ट
शेहला ने कहा कि दरअसल कई लड़कियों के लिए, यह घर से बाहर निकलने का पासपोर्ट है। उन्होंने कहा कि लड़कियों के रूप में, हमें कुछ ऐसी धारणाएं दी जाती हैं जो लड़कों को नहीं मिलतीं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि लड़कियों पर हिजाब जबरदस्ती थोपा जाता है। वह भी स्वतंत्र लड़की हैं वह समुदाय की सदस्य भी है और कल खुद तय कर सकती है कि उसे क्या करना चाहिए। शेहला ने कहा कि अगर वह फैसला करती है कि उसे हिजाब नहीं पहनना है तो यह उचित है।
शेहला रशीद 2016 में तब सुर्खियों में आई थीं जब उन्होंने तत्कालीन जेएनयू छात्र नेता कन्हैया कुमार और अन्य की गिरफ्तारी पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था। संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु की फांसी के विरोध में निकाले गए मार्च में कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाने के मामले में जेएनयू के छात्र नेताओं को गिरफ्तार किया गया था।
PM मोदी की आलोचक से फैन कैसे बनीं शेहला?
JNU यानी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा और भारतीय जनता पार्टी सरकार की आलोचक रहीं शेहला राशिद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करती नजर आ रही हैं। हाल ही में बदले इस रुख के चलते वह काफी चर्चा में हैं। अब उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए इस परिवर्तन की वजह भी बताई है।
माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ‘X’ पर उन्होंने लिखा, ‘मेरे हृदय परिवर्तन की वजह यह एहसास है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक निस्वार्थ व्यक्ति हैं, जो भारत को बदलने के लिए बड़े फैसले ले रहा है। उन्होंने अपने खिलाफ कड़ी आलोचना का सामना किया है, लेकिन समावेशी विकास के अपने नजरिए पर डटे रहे, जिसमें कोई भी पीछे नहीं छूटता है।’
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