नई दिल्ली (New Delhi) । माघ मास के कृष्ण पक्ष का एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है. माना जाता है कि षटतिला एकादशी के दिन विधिवत पूजा करने से व्यक्ति हर तरह के पापों से मुक्ति पा लेता है. इसके साथ ही रोग, दोष और भय से छुटकारा मिल जाता है आज यह एकादशी मनाई जा रही है. इस महीने में स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. इस दिन तिल का दान करने से अनाज की कमी नहीं होती है.
षटतिला एकादशी का महत्व (Shattila Ekadashi ka mahatva)
माघ का महीना स्नान, दान और तप करने के लिए विशेष माह माना गया है. ऐसे में इस माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली षटतिला एकादशी का महत्व और भी बढ़ जाता है. इस साल 18 जनवरी यानी आज षटतिला एकादशी का व्रत रखा जा रहा है. षटतिला एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना (worship) करने और व्रत-पूजा एवं तिल दान करने से मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पसीने से उत्पन्न तिल का छह प्रकार से प्रयोग किया जाता है जिससे प्राणी को इस लोक में सभी सुख प्राप्त होते हैं एवं मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही इस एकादशी का व्रत करने से वाचिक, मानसिक और शारीरिक तीन तरह के पापों से मुक्ति भी मिलती है.
षटतिला एकादशी शुभ मुहूर्त (Shattila Ekadashi Shubh Muhurat)
षटतिला एकादशी के शुभ मुहूर्त की शुरुआत 17 जनवरी 2023 को शाम 6.05 बजे से हो जाएगी और इसका समापन 18 जनवरी 2023 शाम 4.03 मिनट पर होगा. व्रत का पारण 19 जनवरी 2023 को सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 29 मिनट तक कर सकते हैं. उदयातिथि के अनुसार, षटतिला एकादशी का व्रत 18 जनवरी 2023 को रखा जाएगा.
षटतिला एकादशी पूजन विधि (Shattila Ekadashi Puja Vidhi)
षटतिला एकादशी के दिन सुबह-सवेरे स्नान कर लें और उसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. मंदिर की सफाई करें और फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर उस पर तिल मिलाकर गंगाजल छिड़कें. उन्हें पुष्प, धूप आदि अर्पित करें. इसके बाद भगवान विष्णु सहस्नाम का पाठ करें और आरती उतारें. भगवान को तिल का भोग लगाएं. इस दिन में व्रत रखें और रात को भगवान विष्णु की आराधना करें. रात्रि में जागरण और हवन करें. इसके बाद द्वादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान के बाद भगवान विष्णु को भोग लगाएं. ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद स्वयं अन्न ग्रहण करें.
षटतिला एकादशी पर जरूर सुनें यह व्रत कथा (Shattila Ekadashi vrat katha)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में एक ब्राह्मणी थी. वह बेहद धार्मिक स्वभाव की थी. वह खूब पूजा पाठ किया करती थी. वह हर व्रत बड़ी ही श्रद्धापूर्वक रखती थी लेकिन कभी कुछ दान नहीं करती थी. उसकी श्रद्धा से भाव से प्रसन्न होकर एक बार भगवान विष्णु एक ब्राह्मण का वेश धारण कर उसके घर भिक्षा मांगने पंहुचे. ब्राह्मणी ने भगवान विष्णु को दान में एक मिट्टी का ढेला पकड़ा दिया. मृत्यु के बाद जब ब्राह्मणी बैकुंठ पहुंची तो उसे रहने के लिए एक बड़ा सा महल मिला. लेकिन वहां खाने के लिए कुछ न था. तो ब्राह्मणी ने भगवान विष्णु से पूछा कि मैंने तो जीवनपर्यंत इतना धर्म कर्म किया. उसके बदले में मुझे ऐसा फल मिल रहा है. तब भगवान विष्णु ने बताया कि तुमने सच्चे मन से व्रत और पूजा तो की थी. जिसके फलस्वरूप तुम्हें बैकुंठ में इतना अच्छा जीवन मिला. लेकिन तुमने कभी भी अन्न का एक दाना तक दान नहीं किया इसीलिए आज तुम्हारे पास खाने को एक दाना अन्न नहीं है. अगर तुम अपने गलती का प्रायश्चित करना चाहती हो तो षटतिला एकादशी का व्रत करों और उस दिन तिल का दान करो. इसके बाद तुम्हें अनाज की कमी नहीं होगी.
षटतिला एकादशी पर उपाय (Shattila Ekadashi ke upay)
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पसीने से उत्पन्न तिल का छह प्रकार से प्रयोग किया जाता है जिससे भक्त के लोक और परलोक दोनों संवर जाते हैं. आइए जानते हैं कि आप इस दिन तिल का कैसे प्रयोग कर सकते हैं.
तिल का दान
शास्त्रों के अनुसार, षटतिला एकादशी के दिन जो भी व्यक्ति तिलों का दान करता है, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि एकादशी के दिन जितने तिलों का दान किया जाता है, उतने ही पाप नष्ट हो जाते हैं और उतने ही सालों के लिए स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त होता है. इस दिन काले तिल का दान करना भी अच्छा है क्योंकि ऐसा करने से शनि दोष शांत होता है.
तिल का सेवन
षटतिला एकादशी की शाम को तिल युक्त भोजन बनाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को भोग लगाएं. व्रती को भी तिलयुक्त फलाहार करना चाहिए. ऐसा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है. इसके अलावा गरीबों को तिल से बनी हुई चीजों का दान करें.
तिल से स्नान
इस दिन प्रातः सर्वप्रथम स्नान वाले जल में कुछ तिल मिला लें और उसके बाद ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जप करते हुए स्नान करें. ऐसा करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
तिल के तेल से मालिश
षटतिला एकादशी के दिन व्रती और व्रत ना रखने वालों के लिए भी तिल के तेल से मालिश करना बहुत शुभ होता है. ऐसा करने से शरीर निरोग होता है.
तिल से हवन
शास्त्रों के अनुसार षटतिला एकादशी पर तिल से हवन करना बहुत शुभ है. इस दिन हवन करने से पहले गाय के घी में काले तिलों को मिला लें और फिर ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जप करते हुए हवन करें. ऐसा करने से भक्त के घर की आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं, और सुख-समृद्धि आती है. इस दिन सफेद तिल से माता लक्ष्मी या श्री सूक्त का हवन करने से माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है.
तिलोदक
इस दिन तिलोदक करते हैं यानि पंचामृत में तिल मिलाकर भगवान विष्णु को स्नान कराते हैं जिससे दुर्भाग्य दूर होता है. साथ ही इस दिन आप दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को तिल मिश्रित जल का तर्पण करने से उनका आशीर्वाद मिलता है और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है.
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