इंदौर, अमित जलधारी। रेलवे ने एक अहम फैसला लेते हुए तय किया है कि इंदौर स्टेशन रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत अब शास्त्री ब्रिज को नहीं तोड़ा जाएगा। पहले इस बूढ़े हो चुके पुल को तोडक़र नया ब्रिज बनाने की तैयारी थी, लेकिन अब यह योजना एकाएक बदल दी गई है। सूत्रों ने बताया कि मुख्य रूप से प्रोजेक्ट की जटिलताओं को कम करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। पहले रेलवे ने ब्रिज के नीचे कम चौड़ाई वाले पिलरों के कारण बने बॉटलनेक को हटाने के लिए ब्रिज तोडऩे की योजना बनाई थी। ऐसा आड़े-तिरछे प्लेटफॉर्म सीधे करने के उद्देश्य से किया जाना था। अब तय किया गया है कि ब्रिज को तोड़े बगैर चारों प्लेटफॉर्म के बीच खाली पड़ी जगह का उपयोग कर घुमावदार प्लेटफॉर्म की संरचना में यथासंभव बदलाव किए जाएं। शास्त्री ब्रिज तोडक़र नया ब्रिज बनाने में कम से कम डेढ़-दो साल का समय लगता और निर्माण के दौरान शहर के नागरिकों को खासी परेशानी भी होती। इसके निर्माण पर लगभग 60-70 करोड़ रुपए खर्च होना था और अब रेलवे का यह खर्च भी सीधे-सीधे बचेगा। इन्हीं सब समस्याओं को देखते हुए रेलवे ने यू-टर्न लिया है।
70 साल पुराना ब्रिज
शास्त्री ब्रिज पूर्वी और पश्चिमी शहर को जोडऩे वाला सबसे महत्वपूर्ण ब्रिज है। यह पुल 70 साल का होकर अपनी उम्र पूरी कर चुका है और समय-समय पर इसे चौड़ा करने की भी चर्चाएं होती रही हैं। हालांकि अब यह नगर निगम और शहर के जनप्रतिनिधियों को तय करना होगा कि शास्त्री ब्रिज तोडक़र नए ब्रिज का निर्माण कब किया जाए?
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