मुंबई । देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Reserve) में बढ़त देखने को मिली है. रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 4 फरवरी को समाप्त हुए सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) में बढ़ोत्तरी देखी गई. इससे पिछले हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Reserve) में तेज गिरावट देखने को मिली थी. देश का विदेशी मुद्रा भंडार(Foreign Reserve) चार फरवरी को समाप्त सप्ताह में पिछले लगातार दो सप्ताह की गिरावट से उबरते हुए 2.19 अरब डॉलर बढ़कर 631.95 अरब डॉलर पर पहुंच गया जबकि इसके पिछले सप्ताह यह 4.53 अरब डॉलर कम होकर 629.75 अरब डॉलर पर रहा था।
वहीं आईएमएफ के पास एसडीआर में भी बढ़त दर्ज हुई है. दूसरी तरफ हफ्ते के दौरान सोने के भंडार (Gold Reserve) में सीमित गिरावट दर्ज हुई है. किसी भी देश के लिये विदेशी मुद्रा भंडार का मजबूत होना काफी अहम माना जाता है. फिलहाल भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार के घटने से आर्थिक संकट की स्थिति आ चुकी है. वहीं पाकिस्तान भी ऐसी ही स्थितियों में घिरा हुआ है.
रिजर्व बैंक की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार, 04 फरवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 2.25 अरब डॉलर बढ़कर 568.32 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वहीं, इस दौरान स्वर्ण भंडार 21 करोड़ डॉलर घटकर 39.28 अरब डॉलर रह गया। आलोच्य सप्ताह विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 9.8 करोड़ डॉलर बढ़कर 19.1 अरब डॉलर और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास आरक्षित निधि 5.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.23 अरब डॉलर हो गई।
वहीं इससे पहले 28 जनवरी को समाप्त पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.531 अरब डॉलर घटकर 629.755 अरब डॉलर हो गया था. विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले कुछ समय गिरावट देखने को मिली थी. जिसके बाद अब रिकवरी दर्ज हुई है. रिजर्व बैंक के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त फॉरेन करंसी एसेट्स में आई तेजी की वजह से देखने को मिला है. एफसीए भंडार का एक अहम हिस्सा होता है. इसे डॉलर मूल्य में दर्शाया जाता है और इसमें डॉलर से अलग अन्य विदेशी करंसी में डॉलर मूल्य में उतार-चढ़ाव को शामिल किया जाता है.
आंकड़ों के अनुसार देश के रिजर्व में लगातार बढ़त देखने को मिली है. तीन सितंबर, 2021 को समाप्त सप्ताह में भंडार 642.453 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था. विदेशी मुद्रा भंडार का ऊंचे स्तरों पर होना किसी भी अर्थव्यवस्था के लिये काफी सकारात्मक संकेत है, पड़ोसी देश श्रीलंका के डिफॉल्ट होने की स्थिति इस लिये बन गई थी कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने के करीब पहुंच गया था. यही स्थिति पाकिस्तान की भी है.
इससे बचने के लिये दोनो देश ऊंची दरों पर कर्ज उठाने के लिये भी तैयार है. वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था को भंडार की वजह से अतिरिक्त सुरक्षा मिली है. साथ ही कोरोना महामारी के बीच इसी वजह से देश रेटिंग एजेंसियों का भरोसा भी जीतने में सफल रहा.
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