img-fluid

मलेशिया में नहीं थम रहा शरिया कानून विवाद, PM अनवर ने विवादास्पद बिल को लेकर उठाया ये बड़ा कदम

February 23, 2024

नई दिल्ली: मलेशिया (malaysia) के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा केलंतन राज्य के शरिया कानून (Sharia law) के विस्तार को लेकर सुनाए गए फैसले के बाद से जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. मलेशिया की सर्वोच्च अदालत (supreme court of malaysia) ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि आपराधिक कृत्य पहले से ही फेडरल पावर के अंतर्गत आते हैं. ऐसे में केलंतन राज्य सरकार शरिया कानून का विस्तार करते हुए आपराधिक कृत्यों को इसमें शामिल नहीं कर सकती है.

इसके बाद प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम (Prime Minister Anwar Ibrahim) की सरकार इस विवादास्पद बिल को लेकर एक बड़ा कदम उठाने जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, इब्राहिम सरकार इस बिल को संसद में पेश करने की योजना बना रही है. दरअसल, 9 फरवरी को मलेशिया की सर्वोच्च अदालत ने कलंतन राज्य द्वारा लाए गए विस्तारित शरिया कानून पर रोक लगाते हुए कहा था कि राज्य सरकार के पास कानून बनाने का अधिकार नहीं है. केलंतन राज्य सरकार ने शरिया कानून का विस्तार कर देश के संघीय ढांचा का उल्लंघन किया है. इस नए बिल में धार्मिक अवहेलना के लिए कोड़े मारने तक की सजा शामिल है.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने मलेशिया में दो गुटों के बीच बहस छेड़ दी है. एक तरफ देश के लिबरल मुसलमान इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं. वहीं, रूढ़िवादी मुसलानों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से देश के शरिया कानून पर असर पड़ सकता है. अंग्रेजी वेबसाइट SCMP की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट द्वारा केलंतन राज्य के बिल को निरस्त करने के बाद अनवर इब्राहिम सरकार इस विधेयक को संसद में पेश करने की योजना बना रही है. देश में बढ़ती धार्मिक रूढ़िवादिता और मलय राष्ट्रवाद के बीच यह बिल (Bill 355) मलेशिया के सांस्कृतिक और वैचारिक युद्धों को और बढ़ावा दे सकती है. केलंतन राज्य द्वारा बिल लाए जाने पर पहले से ही मलेशिया में धर्मनिरपेक्षता और इस्लाम पर तीखी बहस छिड़ी हुई है.


रिपोर्ट के मुताबिक, मलेशिया की इस्लामवादी पार्टी ने शरिया बिल को संसद में लाने के लिए प्रधानमंत्री अनवर की सराहना की है. इस्लामवादी पार्टी (PAS) ने इस बिल को लेकर अपना पूर्ण समर्थन देने की बात कही है. नेताओं का कहना है कि कुरान में उल्लेखित कानूनों को ऊपर उठाने के प्रयासों का समर्थन करना सभी मुसलमानों की जिम्मेदारी है. वहीं, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि शरिया कानून को मजबूत करना मुख्य रूप से एक राजनीतिक निर्णय है.

विस्तारित शरिया कानून से संबंधित बिल 388 को 2016 में PAS अध्यक्ष अब्दुल हादी अवांग ने संसद में पेश किया था. यह बिल शरिया कानून में सुधार को लेकर एक विवादास्पद कानून है, जो देश के इस्लामी कानून को और मजबूत बनाने के संकल्पों का हिस्सा है. मलेशिया के धार्मिक मामलों के मंत्री ने कहा है कि विधेयक 355 के तहत शरिया कानून में संशोधन इस साल ही किए जाएंगे. वहीं, PAS के उपाध्यक्ष तुआन इब्राहिम तुआन मान ने कहा है कि पिछली सरकारों द्वारा किए गए प्रयासों का समर्थन किया जाना चाहिए. इस बिल को बहुमत से अनुमोदन किया जाना चाहिए.

मलेशियाई कल्चर को लेकर आए दिन बढ़ते विवादों के बीच केलंतन राज्य विधानसभा ने 2021 में राज्य के शरिया कानून में संशोधन बिल पारित किया था. इस बिल के तहत शरिया कानून का विस्तार करते हुए आपराधिक कृत्यों को भी इसमें शामिल कर दिया गया. संशोधित किए गए शरिया कानून के बाद शरिया क्रिमिनल कोड के तहत राज्य सरकार को सोडोमी, धार्मिक गतिविधियों को अपवित्र करने, बुराई करने या दुराचार करने जैसे अपराधों के लिए कार्रवाई करने और दंडित करने का अधिकार मिल गया.

साल 2022 में निक एलिन निक अब्दुल रशीद और उनकी बेटी तेंगकू यास्मीन नताशा ने राज्य सरकार द्वारा शरिया कानून में किए गए संशोधन को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी. दायर याचिका में कहा गया कि संघीय शक्तियों के तहत आने वाले कानून को राज्य सरकार नहीं बना सकती है. 09 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तेंगुक मैमुन तुआन मैट ने निक एलिन और यास्मीन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि केलंतन राज्य की विधायिका ने संघीय क्षेत्राधिकार का उल्लंघन किया है. न्यायालय ने केलंतन शरिया कोड के 18 में से 16 कानूनी प्रावधानों को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार बचे हुए दो कानूनों को लागू कर सकती है.

मलेशिया में दोहरी कानून प्रणाली है. यानी मलेशिया में फेडरल कानून के साथ-साथ शरिया कानून भी लागू है. देश का शरिया कानून सिर्फ देश के मुसलमानों तक ही सीमित है और विशेष रूप से पारिवारिक और इस्लामिक मामलों से संबंधित है. हालांकि, मलेशिया के विभिन्न राजनीतिक दलों ने लंबे समय से शरिया कानूनों के अधिकार क्षेत्र के विस्तार पर जोर दिया है. विस्तार के तहत आपराधिक कृत्यों को भी शरिया कानून में शामिल करना है. वर्तमान में आपराधिक कृत्य नागरिक कानून के तहत आता है.

2016 में अब्दुल हादी द्वारा संसद में पेश किए गए मूल विधेयक में शरिया कानूनों के तहत अधिकतम दंड को बढ़ाकर एक लाख रिंगिट तक का जुर्माना, 30 साल की जेल और 100 कोड़े तक का प्रावधान है. जबकि वर्तमान में शरिया कानून के तहत पांच हजार रिंगिट का जुर्माना और तीन साल की जेल है. वहीं, अविवाहित जोड़े के बीच निकटता जैसे कुछ अपराधों के लिए छह कोड़े मारने का उल्लेख है. विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार द्वारा इस बिल को लाने का मकसद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उत्पन्न हुए असंतोष को कम करने और धर्मनिरपेक्ष या उदार होने के आरोपों से बचना है.

Share:

मैच के बाद भारतीय क्रिकेटर का निधन, स्वास्थ्य मंत्री ने जताया शोक

Fri Feb 23 , 2024
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट वर्ल्ड Indian Cricket World() में पिछले कुछ दिनों से मैच के दौरान या मैच के बाद कई खिलाड़ियों की मौत की घटना सामने आई है। हाल ही में कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर के एक क्रिकेटर सुहैब यासीन Suhaib Yasin() का निधन हो गया था। अब कर्नाटक के एक क्रिकेटर का टूर्नामेंट […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
सोमवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved