नई दिल्ली (New Delhi) । कोरोना महामारी के बाद रियल एस्टेट, गोल्ड और शेयर मार्केट (Share Market) में निवेशकों (investors) का रुझान तेजी से बढ़ा है. खासकर शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड (mutual fund) के प्रति तो आम निवेशक भी तेजी से आकर्षित हो रहे हैं. हाल के बरसों में आए सभी छोटे बड़े IPOs में रिटेल निवेशकों की भागीदारी में काफी इजाफा हुआ है. इनके दम पर शेयर मार्केट ने भी तेज तरक्की की है. इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था का दमदार प्रदर्शन भी शेयर बाजार को नई ऊंचाई पर ले जा रहा है.
अनुमान जताया जा रहा है कि अगले 2 महीनों में भारतीय शेयर बाजार की मार्केट कैप 5 ट्रिलियन डॉलर के पार निकल जाएगी. फिलहाल शेयर बाजार की मार्केट कैप पौने 5 ट्रिलियन डॉलर है.
मूल रकम को बचाने को प्राथमिकता
लेकिन इस तेजी और इन आंकड़ों से भारतीय निवेशकों की मूल भावना की तस्वीर साफ नहीं हो पाती है. RBI के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2020-21 से 2022-23 के दौरान घरेलू बचत की कुल रकम का 84 फीसदी हिस्सा फिक्स्ड रिटर्न वाली स्कीमों में लगाया गया है. वहीं 10 फीसदी से ज्यादा रकम लोगों ने नकदी के तौर पर घरों में रखी हुई है. इस दौरान भारत ने जितनी रकम की बचत की है, उसका महज 6.1 फीसदी हिस्सा ही शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड्स में लगाया गया है.
निवेशकों में रिटर्न के प्रति कम जागरुकता
इन आंकड़ों के आधार पर ये आसानी से समझा जा सकता है कि आम निवेशकों के लिए अभी भी ज्यादा रिटर्न महत्वपूर्ण नहीं है. उनके लिए ज्यादा जरुरी ये है कि मूल रकम को किसी भी सुरक्षित रखा जाना चाहिए. RBI के इन आंकड़ों को लेकर जानकारों का मानना है कि लोगों में निवेश को लेकर जागरुकता और जानकारी का अभाव है.
निवेशकों को शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से डर लगता है और वो एक तय रिटर्न वाली स्कीम में पैसा लगाना पसंद करते हैं. लेकिन इसके चक्कर में उन्हें महंगाई दर से भी कम रिटर्न हासिल होता है. हालांकि निवेशकों को रिटर्न से ज्यादा सुविधाएं और टैक्स छूट पसंद हैं.
कोरोना के बाद बढ़ा शेयर बाजार में निवेश
भारत में अगर आम निवेशकों की बचत और निवेश की आदतों को समझा जाए तो RBI के डाटा के मुताबिक 94 फीसदी लोगों ने फिक्स्ड आय वाले स्कीमों में पैसा लगाया है जबकि महज 6 फीसदी ने दूसरे निवेश विकल्पों को आजमाया है.
वहीं अगर कोरोना के बाद के 3 साल में निवेश की गई रकम को देखा जाए तो कुल बचत रकम का 36.8 फीसदी हिस्सा यानी 31.65 लाख करोड़ रुपये बैंक डिपॉजिट में, 20.1 फीसदी हिस्सा यानी 17.28 लाख करोड़ रुपये पेंशन और पीएफ में, 18.2 फीसदी यानी 15.69 लाख करोड़ रुपये बीमा में, 10.3 फीसदी यानी 8.89 लाख करोड़ रुपये नगदी में और 7.9 फीसद यानी 6.83 लाख करोड़ रुपये छोटी बचत स्कीमों में निवेश किए हैं.
शेयर बाजार में 1.3 फीसद यानी 1.10 लाख करोड रुपये और म्यूचुअल फंड में 4.7 फीसद यानी 4.03 लाख करोड़ रुपये निवेश किए हैं. यहां ये जानना भी दिलचस्प है कि 10 फीसदी से ज्यादा रकम नगदी में है, जिसमें कोई रिटर्न नहीं है.
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