नई दिल्ली। हिदूं धर्म में नवरात्रि के पर्व का बहुत महत्व है. हिंदू पंचाग के अनुसार साल में कुल चार नवरात्रि पड़ती है, जिसमें दो गुप्त नवरात्रि, एक चैत्र नवरात्रि और एक शारदीय नवरात्रि(Shardiya Navratri ) है. नवरात्रि के दौरान देवी शक्ति मां दुर्गा की पूजा (Worship) विशेष रूप से की जाती है. मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा हिमालय (Himalaya) से पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों के घरों पर पधारती हैं. हर साल अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है. अश्वविन माह (ashwin month) चल रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कब शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि और घट स्थापना विधि…
कब शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि
हिंदू धर्म के पंचाग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है जो शुक्ल पक्ष के नवमी तक मनाई जाती है. शारदीय नवरात्रि को शरद नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इस साल अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर को है. ऐसे में नवरात्रि की शुरुआत 26 सितंबर से होगी. नवरात्रि पर्व का समापन 05 अक्टूबर को होगा.
नवरात्रि पर बन रहे कई शुभ संयोग
नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक देवी दुर्गी की के नव स्वरुपों की अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है. इस साल नवरात्रि के दौरान 9 दिनों में कई शुभ संयोग बन रहे हैं. नवरात्रि की शुरुआत 26 सितंबर को सर्वाद्ध सिद्धि योग और अमृत योग से हो रहा है. सर्वाद्ध सिद्धि योग नवरात्रि के पांचवे दिन 30 सितंबर को और सातंवे दिन 02 अक्टूबर को भी है. वहीं नवरात्रि के चौथे दिन, छठवें दिन और आठवें दिन रवि योग बन रहा है. इस योग में मां भगवती कू पूजा करना विशेष लाभकारी माना गया है.
कैसे करें घट स्थापना और पूजा, सरल विधि :
घट अर्थात मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है।
– घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें। फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें। इस तरह उपर तक पात्र को मिट्टी से भर दें। अब इस पात्र को स्थापित करके पूजन करें।
– जहां घट स्थापित करना है वहां एक पाट रखें और उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर फिर उस पर घट स्थापित करें। घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं। घट के गले में मौली बांधे।
– अब एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर नाड़ा बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र अर्थात घट के उपर रखें। अब कलश के ऊपर पत्ते रखें, पत्तों के बीच में नाड़ा बंधा हुआ नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें।
– अब घट और कलश की पूजा करें। फल, मिठाई, प्रसाद आदि घट के आसपास रखें। इसके बाद गणेश वंदना करें और फिर देवी का आह्वान करें।
– अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि ‘हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।’
– आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें।
(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करते है.)
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