नई दिल्ली। आज से शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) शुरू हो गए हैं, जहां पर 9 दिनों तक मां शक्ति की आराधना की जाएगी। हिंदू पंचाग (Hindu calendar) के अनुसार इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर को है और इसी तिथि से अगले नौ दिनों तक महाशक्ति की उपासना का पर्व शुरू हो गया है। शारदीय नवरात्रि के नौ दिन आस्था और भक्ति के साथ ही साधना का अवसर भी लेकर आते हैं। शास्त्रों की मान्यता है कि देवी इन नौ दिनों में पृथ्वी पर आकर अपने भक्तों को मनोवांछित फल देती हैं, इसलिए नवरात्रि माता भगवती (Navratri Mata Bhagwati) की साधना का श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री माता (Mahagauri and Siddhidatri Mata) की पूजा अर्चना की जाती है जो भक्तों को सुख-सौभाग्य और शौर्य प्रदान करती हैं। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पर देवी दुर्गा का पृथ्वी पर आगमन हाथी की सवारी के साथ होगा। हाथी पर माता का आगमन इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि इस साल देश में सुख-समृद्धि बढ़ेगी।
ऐसे करें पूजा- नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और दरवाजे पर आम या अशोक के पत्तों का तोरण लगाएं,मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और आपके घर में सुख-समृद्धि लेकर आती हैं। नवरात्र के पहले दिन माता की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करना चाहिए।उसके बाद माता के समक्ष मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं,जौ समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं। कलश स्थापना के साथ ही रोली,अक्षत,मोली,पुष्प आदि से देवी के मंत्रों का उच्चारण करते हुए माता की पूजा करें और भोग चढ़ाएं। अखंड दीपक प्रज्वलित (monolithic lamp lit) कर माँ की आरती करें।
इन नियमों का रखें ध्यान
धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि,वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है।कलश में सभी ग्रह,नक्षत्रों एवं तीर्थों का वास होता है।इनके आलावा ब्रह्मा,विष्णु,रूद्र,सभी नदियों,सागरों,सरोवरों एवं तेतीस कोटि देवी-देवता कलश में विराजमान होते हैं। वास्तु के अनुसार ईशान कोण(उत्तर-पूर्व)जल एवं ईश्वर का स्थान माना गया है और यहां सर्वाधिक सकारात्मक ऊर्जा रहती है। इसलिए पूजा करते समय माता की प्रतिमा या कलश की स्थापना इसी दिशा में करनी चाहिए।यद्धपि देवी माँ का क्षेत्र दक्षिण और दक्षिण पूर्व दिशा माना गया है इसलिए यह ध्यान रहे कि पूजा करते समय आराधक का मुख दक्षिण या पूर्व में ही रहे। शक्ति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाने वाली पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से हमारी प्रज्ञा जागृत होती है एवं दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से आराधक को शांति अनुभव होती है।माता की पूजा करते समय कभी भी नीले और काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए,ऐसा करने से पूजा के फलों में कमी आती है। देवी माता को शक्ति का प्रतीक लाल रंग बहुत प्रिय है इसलिए पूजा करते समय शुभ रंग जैसे लाल,गुलाबी,केसरिया,हरा,पीला,क्रीम आदि पहन सकते हैं।
घट स्थापना का शुभमुहूर्त
इस बार प्रतिपदा तिथि का आरंभ 26 सितंबर ,सोमवार सुबह 03 बजकर 23 मिनट पर आरंभ होगी जिसका समापन 27 सितम्बर को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर होगा। घटस्थापना (Ghatasthapana) का मुहूर्त प्रातः 06.11 से प्रातः 07.51 मिनट तक रहेगा। घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:54 से दोपहर 12:42 तक रहेगा।
शारदीय नवरात्रि 2022 कलश/घटस्थापना मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि 2022 | घटस्थापना मुहूर्त | अवधि |
नवरात्रि 2022 | सुबह 06 बजकर 11 मिनट से 07 बजकर 51 मिनट तक | 1 घंटे 40 मिनट |
दिन | नवरात्रि दिन | तिथि | पूजा-अनुष्ठान |
26 सितंबर 2022 | नवरात्रि दिन 1 | प्रतिपदा | माँ शैलपुत्री पूजा घटस्थापना |
27 सितंबर 2022 | नवरात्रि दिन 2 | द्वितीया | माँ ब्रह्मचारिणी पूजा |
28 सितंबर 2022 | नवरात्रि दिन 3 | तृतीया | माँ चंद्रघंटा पूजा |
29 सितंबर 2022 | नवरात्रि दिन 4 | चतुर्थी | माँ कुष्मांडा पूजा |
30 सितंबर 2022 | नवरात्रि दिन 5 | पंचमी | माँ स्कंदमाता पूजा |
01 अक्तूबर 2022 | नवरात्रि दिन 6 | षष्ठी | माँ कात्यायनी पूजा |
02 अक्तूबर 2022 | नवरात्रि दिन 7 | सप्तमी | माँ कालरात्रि पूजा |
03 अक्तूबर 2022 | नवरात्रि दिन 8 | अष्टमी | माँ महागौरी दुर्गा महा अष्टमी पूजा |
04 अक्तूबर 2022 | नवरात्रि दिन 9 | नवमी | माँ सिद्धिदात्री दुर्गा महा नवमी पूजा |
05 अक्तूबर 2022 | नवरात्रि दिन 10 | दशमी | नवरात्रि दुर्गा विसर्जन, विजय दशमी |
शारदीय नवरात्रि पर क्या करें और क्या न करें
शारदीय नवरात्रि 2022 | क्या करें | क्या न करें |
नवरात्रि | सात्विक भोजन, साफ़ सफाई, देवी आराधना,भजन-कीर्तन, जगराता, मंत्र,देवी आरती | प्याज,लहसुन,शराब,मांस-मछली का सेवन, लड़ाई, झगड़ा, कलह, कलेश, काले कपड़े और चमड़े की चीजें न पहने, दाढ़ी,बाल और नाखून न काटें |
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शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों में 9 देवियों के 9 बीज मंत्र
शारदीय नवरात्रि के दिन | देवी | बीज मंत्र |
पहला दिन | शैलपुत्री | ह्रीं शिवायै नम:। |
दूसरा दिन | ब्रह्मचारिणी | ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:। |
तीसरा दिन | चन्द्रघण्टा | ऐं श्रीं शक्तयै नम:। |
चौथा दिन | कूष्मांडा | ऐं ह्री देव्यै नम:। |
पांचवा दिन | स्कंदमाता | ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:। |
छठा दिन | कात्यायनी | क्लीं श्री त्रिनेत्राय नम:। |
सातवाँ दिन | कालरात्रि | क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:। |
आठवां दिन | महागौरी | श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:। |
नौवां दिन | सिद्धिदात्री | ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:। |
नवरात्रि के दिन के अनुसार भोग
शारदीय नवरात्रि 2022 | नवरात्रि के दिन | माता का भोग |
पहला दिन | माँ शैलपुत्री देवी | देसी घी |
दूसरा दिन | ब्रह्मचारिणी देवी | शक्कर,सफेद मिठाई,मिश्री और फल |
तीसरा दिन | चंद्रघंटा देवी | मिठाई और खीर |
चौथा दिन | कुष्मांडा देवी | मालपुआ |
पांचवां दिन | स्कंदमाता देवी | केला |
छठा दिन | कात्यायनी देवी | शहद |
सातवां दिन | कालरात्रि देवी | गुड़ |
आठवां दिन | महागौरी देवी | नारियल |
नौवां दिन | सिद्धिदात्री देवी | अनार और तिल |
शारदीय नवरात्रि 2022 पर शुभ योग
शारदीय नवरात्रि 2022 | नवरात्रि के दिन | शुभ योग |
पहला दिन | माँ शैलपुत्री देवी | सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग |
दूसरा दिन | ब्रह्मचारिणी देवी | |
तीसरा दिन | चंद्रघंटा देवी | |
चौथा दिन | कुष्मांडा देवी | रवि योग |
पांचवां दिन | स्कंदमाता देवी | सर्वार्थ सिद्धि योग |
छठा दिन | कात्यायनी देवी | रवि योग |
सातवां दिन | कालरात्रि देवी | सर्वार्थ सिद्धि योग |
आठवां दिन | महागौरी देवी | रवि योग |
नौवां दिन | सिद्धिदात्री देवी | |
शारदीय नवरात्रि 2022, घटस्थापना के लिए पूजा सामग्री
शारदीय नवरात्रि 2022 | घटस्थापना के लिए पूजा सामग्री | घटस्थापना के लिए पूजा सामग्री |
नवरात्रि | कलश माता की फोटो 7 तरह के अनाज मिट्टी का बर्तन पवित्र मिट्टी | गंगाजल आम या अशोक के पत्ते सुपारी जटा वाला नारियल अक्षत लाल वस्त्र पुष्प |
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नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से लाभ
दिन | नवरात्रि दिन | तिथि | पूजा-अनुष्ठान |
26 सितंबर 2022 | नवरात्रि दिन 1 | प्रतिपदा | देवी शैलपुत्री की पूजा से चंद्र दोष समाप्त होता है। |
27सितंबर 2022 | नवरात्रि दिन 2 | द्वितीया | देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा से मंगल दोष खत्म होता है। |
28 सितंबर 2022 | नवरात्रि दिन 3 | तृतीया | देवी चंद्रघण्टा पूजा से शुक्र ग्रह का प्रभाव बढ़ता है। |
29सितंबर 2022 | नवरात्रि दिन 4 | चतुर्थी | माँ कूष्माण्डा की पूजा से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होता है। |
30सितंबर 2022 | नवरात्रि दिन 5 | पंचमी | देवी स्कंदमाता की पूजा से बुध ग्रह का दोष कम होता है। |
01अक्तूबर 2022 | नवरात्रि दिन 6 | षष्ठी | देवी कात्यायनी की पूजा से बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है। |
02अक्तूबर 2022 | नवरात्रि दिन 7 | सप्तमी | देवी कालरात्रि की पूजा से शनिदोष खत्म होता है। |
03अक्तूबर 2022 | नवरात्रि दिन 8 | अष्टमी | देवी महागौरी की पूजा से राहु का बुरा प्रभाव खत्म होता है। |
04अक्तूबर 2022 | नवरात्रि दिन 9 | नवमी | देवी सिद्धिदात्री की पूजा से केतु का असर कम होता है। |