नई दिल्ली। आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा(Sharad Purnima 2021) कहते हैं. इस तिथि से शरद ऋतु प्रारंभ होती है, इसलिए इसे शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2021) कहा जाता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण भगवान कृष्ण (Lord Krishna) ने इसी दिन महारास रचाया था. ज्योतिषविदों (astrologers) के मुताबिक, इस दिन चंद्रमा संपूर्ण सोलह कलाओं से युक्त होता है और चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती (nectar rained from the moon) है. ये अमृतवर्षा जीवन में धन, प्रेम और स्वास्थ्य तीनों का सुख लेकर आती है.
चांद की रोशनी में खीर रखने का वैज्ञानिक कारण
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2021) की रात को अमृत वर्षा होती है. इसलिए इस दिन चांद की रोशनी में खीर रखना शुभ माना जाता है. इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए. शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा धरती के बहुत करीब होता है. ऐसे में चंद्रमा से निकलने वाली किरणों में मौजूद रासायनिक तत्व सीधे धरती पर आकर गिरते हैं, जिससे इस रात रखे गए प्रसाद में चंद्रमा से निकले लवण व विटामिन जैसे पोषक तत्व समाहित हो जाते हैं. इस प्रसाद को दूसरे दिन खाली पेट ग्रहण करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है.
खीर कैसे तैयार करें?
शरद पूर्णिमा(Sharad Purnima 2021) पर खीर बनाने के लिए गाय के दूध, घी और चीनी का इस्तेमाल करें. मां लक्ष्मी को इस खीर से भोग लगाएं. इसके बाद भोग लगे प्रसाद को चंद्रमा की रोशनी में रखें और दूसरे दिन इसका सेवन करें. खीर को कांच, मिट्टी या चांदी के पात्र में ही रखें. इस खीर का सेवन सूर्योदय से पहले कर लेना बेहतर होता है. आप इसे प्रसाद के रूप में भी बांट सकते हैं.
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