Sharad Purnima 2023 : वर्ष की सभी पूर्णिमाओं में आश्विन मास की शरद पूर्णिमा श्रेष्ठतम मानी गई है क्योंकि इस दिन महालक्ष्मी की पूजा-आराधना करके अपने इष्ट कार्य को तो सिद्ध किया ही जा सकता है साथ ही राधा-कृष्ण की आराधना के लिए भी यह पूर्णिमा सर्वोपरि मानी गई है। इस साल 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाएगा। शरद पूर्णिमा को कोजोगार पूर्णिमा, रास पूर्णिमा या कुमार पूर्णिमा कहा जाता है और इस दिन रखे जाने वाले व्रत को कौमुदी व्रत कहते हैं।
श्रीमद्भागवत के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा पर भगवान श्री कृष्ण और श्री राधा की अद्भुत और दिव्य रासलीलाओं का आरम्भ हुआ था। पूर्णिमा की श्वेत उज्जवल चांदनी में यमुनाजी के निकट वृन्दावन के निधिवन में भगवान श्री कृष्ण ने अपनी नौ लाख गोपिकाओं के साथ स्वंय के ही नौ लाख अलग-अलग गोपों के रूप में आकर ब्रज में महारास रचाया था इसलिए इस महीने की पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है।
इस दिन चंद्रदेव की भी पूजा अर्चना करने का विधान हैं। शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था इसीलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है। कुंआरी कन्याएं इस दिन सुबह सूर्य और चन्द्र देव की पूजा अर्चना करें तो उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
मां लक्ष्मी की उपासना का पर्व शरद पूर्णिमा
मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ गरुड़ पर सवार होकर पृथ्वी लोक पर भ्रमण के लिए आती हैं। इस दिन मां लक्ष्मी घर-घर जाकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। इस दिन प्रकृति मां लक्ष्मी का स्वागत करती हैं। ये भी मान्यता है कि इस रात को देखने देवतागण भी स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं। शरद पूर्णिमा पर मां महालक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है।
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में बैठने से शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है। श्वांस एवं पित्त संबंधी बीमारी दूर होती है। शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्र दर्शन करने से नेत्र संबंधी रोग दूर हो जाते हैं,नेत्र ज्योति बढ़ती है। इस रात्रि खीर का भोग लगाकर आसमान के नीचे रखी जाती है एवं सुबह भोग लगाकर वितरित की जाती है। इस रात्रि में जागरण करने और मां लक्ष्मी की उपासना से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
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