नई दिल्ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) का नाम और चुनाव चिह्न (Name and election symbol) छिन जाने के बाद शरद पवार गुट को एनसीपी शरदचंद्र पवार (NCP Sharadchandra Pawar) के नाम से जाना जाएगा. शरद पवार ने चुनाव आयोग (election Commission) के सामने पार्टी के तीन नए नाम और चुनाव चिह्न का प्रस्ताव रखा था. एक दिन पहले ही अजित पवार गुट को असली एनसीपी माने जाने के फैसले के बाद चुनाव आयोग ने इसके लिए शरद पवार को बुधवार शाम तक का वक्त दिया था.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी पर अधिकार को लेकर चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के बीच जंग चल रही थी. चुनाव आयोग ने एक दिन पहले ही अजित पवार गुट को असली एनसीपी माना था. इसके साथ ही पार्टी का चुनाव चिह्न घड़ी और पार्टी का नाम भी शरद पवार से छिन गया था. इसके बाद ही शरद पवार को पार्टी के लिए नया नाम और चुनाव चिह्न तय करने का समय दिया गया था. शरद पवार ने तीन विकल्प दिए थे, इनमें से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदचंद्र पवार नाम तय कर दिया गया है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी पर भतीजे अजित पवार का कब्जा होने के बाद शरद पवार ने चुनाव आयोग ने पार्टी के तीन नए नाम और चुनाव चिह्न सुझाए हैं. इनमें पार्टी के लिए तीन नाम राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदचंद्र पवार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदराव पवार नाम सुझाया गया है. इसके अलावा चुनाव चिह्न मे चाय का कप, उगता सूरज और बरगद का पेड़ का विकल्प दिया गया है. इसमें से चुनाव आयोग ने पार्टी के नाम पर फैसला कर दिया है. चुनाव चिह्न पर अभी बातचीत चल रही है.
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार अब एनसीपी के असली मालिक हो गए हैं. खास बात ये है कि अजित पवार ने अपने चाचा से ही राजनीतिक का ककहरा सीखा और चाचा शरद पवार से पार्टी छीन ली. दरअसल शरद पवार बेटी सुप्रिया सुले को अपना राजनीतिक वारिस बनाना चाहते थे, लेकिन अजित पवार ने पार्टी के एक धड़े पर कब्जा जमाया और महाराष्ट्र सरकार में शामिल होकर डिप्टी सीएम भी बन गए. पार्टी अध्यक्ष पद से शरद पवार को बेदखल कर पार्टी की कमान भी संभाल ली. इसके बाद से ही मामला अदालत और चुनाव आयोग में चल रहा था.
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