मुंबई: महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के भीतर सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और शिवसेना के अपने-अपने दावे हैं. लेकिन, आधिकारिक तौर पर जो फॉर्मूला सामने आया है उसके हिसाब से अभी तक तीन दल 85-85 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. यानी 255 सीटों का खांका तैयार हो गया है. बाकी 28 सीटों पर अब भी तकरार जारी है. इस सीट बंटवारे में सबसे मजेदार बात यह है कि तीनों दलों को एक भी भाव में तौला गया है. और पूरी कवायद में एनसीपी शरद गुट ने बाजी मार ली है.
अब तक सभी को लग रहा है कि सीट बंटवारे के इस फॉर्मूले में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस का हुआ है. उसके पास 13+1 सांसद हैं. बीते 2019 के विधानसभा में उसके पास 44 विधायक थे. दूसरी तरह शिवसेना और एनसीपी दोनों पार्टियां दो फाड़ हो चुकी हैं. महाविकास अघाड़ी में शिवसेना उद्धव गुट और एनसीपी शरद गुट हैं. इनके पास क्रमश 15 और 14 विधायक बचे हैं. इस हिसाब से देखें तो निश्चित तौर पर कांग्रेस पार्टी हर मामले में अपने सहयोगियों पर भारी है. लेकिन, उसे कम सीटें मिली हैं.
लेकिन, सबसे बड़ा खेल शिवसेना उद्धव गुट के साथ हुआ. बीते लोकसभा चुनाव में इस गुट ने राज्य की 48 में से 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था. महाविकास अघाड़ी में इसके नेता उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे. वह सरकार के चेहरा थे. बीते 2019 के विधानसभा में जब शिवसेना एकीकृत थी तो भाजपा के साथ गठबंधन में उन्होंने 126 सीटों पर चुनाव लड़कर 56 पर जीत हासिल की थी.
लोकसभा चुनाव के वक्त शिवसेना ठाकरे गुट अपने सहयोगियों को यह समझाने में कामयाब रही कि वह ही असली शिवसेना है. इसी आधार पर उसने 21 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा. राज्य में एक लोकसभा सीट में 6 विधानसभा सीटें आती हैं. यानी पूरी तरह 2019 के विधानसभा चुनाव का फॉर्मूला लागू हुआ. लेकिन, लोकसभा चुनाव में मिली हार से पार्टी की हालत बुरी हो गई है. 21 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली शिवसेना उद्धव गुट केवल नौ सीटों पर जीत पाई. दूसरी तरफ कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़कर 14 सीटों पर जीत हासिल की. इस मामले में एनसीपी शरद गुट का स्ट्राइक रेट सबसे शानदार रहा. उनकी पार्टी केवल 10 सीटों पर लड़कर आठ पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई.
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