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    80 साल के हुए शरद पवार, NCP नेता ने बताया क्यों नहीं बने प्रधानमंत्री

  • December 13, 2020

    मुंबई । महाराष्ट्र में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस को साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शरद पवार 80 साल के हो गए. राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल (Praful Patel) ने दावा किया कि पवार 1990 के दशक में जब कांग्रेस में थे, उस दौरान अपने खिलाफ ‘दरबारी राजनीति’ के कारण वह दो मौकों पर प्रधानमंत्री नहीं बन पाए थे.

    पूर्व केंद्रीय मंत्री पटेल ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित अपने आलेख में लिखा, ‘‘पवार ने बहुत कम समय में कांग्रेस में अग्रिम पंक्ति के नेता के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर ली थी. वह 1991 और 1996 में प्रधानमंत्री की भूमिका के लिए निश्चित रूप से स्वाभाविक उम्मीदवार थे. लेकिन, दिल्ली की दरबारी राजनीति (भाई-भतीजावाद) ने इसमें अवरोध पैदा करने की कोशिश की. निश्चित रूप से यह न केवल उनके लिए एक व्यक्तिगत क्षति थी, बल्कि उससे भी ज्यादा पार्टी और देश के लिए क्षति थी.’’

    उन्होंने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस के ‘दरबार’ का एक तबका’ प्रभावशाली नेताओं को कमजोर करने के लिए राज्य इकाइयों में विद्रोहों को बढ़ावा देता था. इस लेख के बारे में पूछे जाने पर पटेल ने कहा कि ‘‘पवार दो मौकों पर प्रधानमंत्री बनने से चूक गए… बनते बनते रह गए… अब, अगर पूरा महाराष्ट्र उनके साथ खड़ा होता है, तो हमारा अधूरा सपना पूरा हो सकता है.’’ पटेल ने अपने लेख में कहा कि राजीव गांधी की मृत्यु (1991 में हत्या) के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच मजबूत धारणा थी कि पवार को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए.

    उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन दरबारी राजनीति ने एक मजबूत नेता के विचार का विरोध किया और पीवी नरसिंह राव को पार्टी प्रमुख बनाने की योजना बनायी. राव बीमार थे और उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी नहीं लड़ा था. वह सेवानिवृत्त होकर हैदराबाद में रहने की योजना बना रहे थे. लेकिन उन्हें राजी किया गया और सिर्फ पवार की उम्मीदवारी का विरोध करने के लिए उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था.’’

    कांग्रेस ने पटेल के लेख पर टिप्पणी करने से इनकार किया. लेकिन, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पवार वर्ष 1986 में कांग्रेस में फिर से शामिल हुए थे और दिल्ली में उनकी छवि यह थी कि वह एक निष्ठावान कांग्रेसी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पवार ने 1978 में भी पार्टी के खिलाफ विद्रोह किया था.

    पटेल के आलेख पर शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि छोटे राजनीतिक कद के नेताओं ने शरद पवार को शीर्ष पर जाने से रोका. राउत ने नासिक में पत्रकारों से कहा, ‘‘पवार की योग्यता और गुण उनकी राजनीतिक यात्रा में एक अवरोधक बन गये.’’ उन्होंने कहा, ‘‘छोटे राजनीतिक कद के नेताओं को उनसे डर था और उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वह शीर्ष पर न पहुंचें.’’ शिवसेना के नेता ने कहा, ‘‘पवार को बहुत पहले ही प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिलना चाहिए था. आज वह 80 वर्ष के हैं. लेकिन वह ऐसे नेता हैं, जिसके लिए उम्र कोई बाधा नहीं है.’’

    पवार चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे और जून 1991 से मार्च 1993 के बीच वह रक्षा मंत्री थे. पवार ने पिछले साल राकांपा-कांग्रेस का शिवसेना के साथ गठबंधन कराने में अहम भूमिका निभाई. पवार ने शनिवार को कहा कि राजनीतिक कार्यकर्ताओं को कभी विचारधारा से समझौता नहीं करना चाहिए. पवार ने अपने 80वें जन्मदिन के मौके पर आयोजित पार्टी के एक कार्यक्रम में कहा कि राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नेताओं की एक नई पीढ़ी बनाने से भविष्य में राज्य और देश को मजबूत करने में मदद मिलेगी.

    राकांपा प्रमुख ने कहा, ‘‘राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए अपनी विचारधारा पर दृढ़ रहना महत्वपूर्ण है. महात्मा ज्योतिबा फुले, बी आर आंबेडकर और छत्रपति शाहूजी महाराज की प्रगतिशील विचारधारा को राजनीतिक कार्यकर्ताओं की नई नस्ल के बीच विकसित किये जाने की आवश्यकता है.’’ अपने माता-पिता को याद करते हुए, पवार ने कहा कि उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक काम करते हुए पारिवारिक जिम्मेदारियों की उपेक्षा नहीं करने की सीख दी थी.

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