मुंबई (Mumbai) । राकांपा (शरद पवार खेमे) (NCP) के मुख्य सचेतक जितेंद्र आव्हाड (Jitendra Awhad) ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष (Maharashtra Assembly Speaker) को पत्र लिखकर (written letter) सोमवार से शुरू होने वाले विधानमंडल सत्र के लिए अजित पवार खेमे के सदस्यों और पार्टी के बाकी विधायकों के लिए अलग-अलग बैठने की व्यवस्था करने की मांग की है. तीन हफ्ते का सत्र 17 जुलाई से चार अगस्त तक चलेगा और इस मानसून सत्र में 24 विधेयक प्रस्तावित हैं जिसमें से 10 को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है।
रविवार को स्पीकर राहुल नार्वेकर को लिखे गए एक पत्र में, आव्हाड ने कहा कि अजित पवार सहित नौ विधायक जो सरकार में शामिल हुए हैं, उन्हें छोड़ दें तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी विपक्ष का हिस्सा है. आव्हाड ने लिखा, ‘शपथ लेने वाले नौ विधायकों को छोड़कर, अन्य के लिए बैठने की व्यवस्था अलग से की जानी चाहिए. राकांपा विपक्ष में है और हम विपक्ष में बैठना चाहते हैं.’
स्पीकर ने कही ये बात
नार्वेकर ने हाल ही में कहा था कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मामले में कौन सत्ता में है और कौन नहीं, इसके बीच कोई स्पष्ट अंतर नहीं है. उन्होंने कहा था, ‘इस बात पर बहुत विचार-विमर्श और बहस होगी कि कैसे तय किया जाए कि वास्तविक एनसीपी का प्रतिनिधित्व कौन करता है.’
जब उनसे शिव सेना के बारे में पूछा गया, जिसमें पिछले साल इसी तरह की बगावत हुई थी, तो नार्वेकर ने कहा, ‘भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने अपना फैसला दे दिया है, इसलिए मेरे लिए शिव सेना का मुद्दा हल हो गया है. हालाँकि, NCP ने ECI को एक पत्र लिखा है, लेकिन मुझे उसके कार्यालय से कोई अपडेट नहीं मिला है.’
अजित पवार के पास ज्यादा विधायक
इस महीने की शुरुआत में अजित पवार और आठ अन्य विधायकों के शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने से पहले, 288 सदस्यीय विधानसभा में राकांपा के 53 विधायक थे. पार्टी में विभाजन के बाद अजित पवार की मुंबई में हुई पहली बैठक में एनसीपी के 35 विधायक और आठ में से पांच एमएलसी ने उपस्थिति दर्ज कराई थी.
दोनों पवार में से किसके पास कितनी पावर?
महाराष्ट्र में अभी कुल 53 विधायक हैं. नए समीकरण के हिसाब से अजित पवार का दावा है कि उन्हें 36 विधायकों का समर्थन हासिल है. हालांकि चर्चा है कि अजित के साथ अभी कुल 25 विधायक हैं, जबकि 13 विधायक शरद पवार के खेमे में हैं जबकि 15 विधायक ऐसे हैं, जिनका स्टैंड अभी साफ नहीं हो पाया है. नियमों के तहत देखा जाए तो शरद पवार की स्थिति कमजोर दिख रही है. हालांकि शरद पवार अब भी पार्टी अध्यक्ष हैं. पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले भी उनके साथ हैं, जबकि अजित पवार के साथ जो नेता हैं, उनमें एक कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल हैं. इस स्थिति में शरद पवार के पास पार्टी को लेकर ज्यादा ताकत है. हालांकि, अभी पदाधिकारियों और सांसदों की स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आ पाई है कि कितने किसके साथ हैं. वैसे सांसद सुनील तटकरे अजित गुट के साथ हैं.
अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष के अधिकार
किसी पार्टी का अध्यक्ष अपनी दल का सर्वोच्च नेता होता है. वह पार्टी के के निर्णय लेने, नीतियों का निर्धारण करने, कार्यक्रमों की निगरानी करने और पार्टी का नेतृत्व करने के जिम्मेदार होते हैं. अध्यक्ष पार्टी को लेकर महत्वपूर्ण फैसले लेते हैं. वह पार्टी के सदस्यों के साथ सहयोग करते हैं.
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