- तिथियों में पंचाग मतभेद के कारण बनी स्थिति- कल होगा पर्व स्नान
उज्जैन। आज 30 नवंबर को शनिश्चरी अमावस्या का स्नान होना था, लेकिन पंचागों में तिथि के उदयकाल को लेकर उपजे मतभेदों के कारण आज यह स्नान नहीं हुआ और त्रिवेणी से लेकर रामघाट तक शिप्रा के घाट सूने नजर आए। इधर नदी में नर्मदा का पानी छोड़ा जा चुका है और कान्ह नदी का दूषित पानी भी ओवरफ्लो होकर शिप्रा में मिल रहा है। तिथियों के लेकर चले आ रहे संशय के चलते इस बार शनिश्चरी अमावस्या को लेकर भ्रम की स्थिति है। ज्योतिषचार्यों का कहना है कि मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि पर शनिवार का योग आ रहा है।
चूंकि चतुर्दशी तिथि सुबह 10.30 बजे तक रहेगी, इस दृष्टि से यह चतुर्दशी ही कहलाएगी। इस दिन शनिश्चरी अमावस्या नहीं है। ज्योतिषाचार्य पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया वैदिक पंचांग के अनुसार अमावस्या की तिथि आज 30 नवंबर को सुबह 10.30 बजे से शुरू हुई और यह कल 1 दिसंबर को सुबह 11.51 बजे तक रहेगी। इसलिए उद्यात तिथि में रविवार को स्नान-दान की अमावस्या मान्य रहेगी। इस दिन शिप्रा में डुबकी लगाकर स्नान-दान किया जा सकेगा। वहीं पं. शैलेंद्र त्रिवेदी डिब्बेवाला ने बताया कि जब अमावस्या शनिवार को आती है तब शुक्रवार रात 12 बजे से ही स्नान शुरू हो जाता है और शनिवार रात तक चलता है, लेकिन इस बार स्नान-दान अमावस्या रविवार को ही होगी। इसी के चलते आज सुबह त्रिवेणी घाट और रामघाट पर श्रध्दालुओं की भीड़ दिखाई नहीं दी। इधर शनिश्चरी अमावस्या को लेकर नगर निगम के 20 कर्मचारी त्रिवेणी पर सफाई में लगा दिए थे। एक दिन पहले शुक्रवार सुबह घाटों को धोकर वहां फव्वारे के लिए पाइप लगा दिए गए। इसके अलावा मंदिर परिसर और आसपास भी सफाई होती रही और नदी से डोंगी के माध्मय से कचरा बाहर निकाला गया। दूसरी और शनिश्चरी अमावस्या पर्व के स्नान के लिए शिप्रा में दो दिन पहले से नर्मदा का पानी छोड़ा जा रहा था, लेकिन कान्ह का गंदा पानी भी इसका पीछा नहीं छोड़ रहा था। इससे श्रद्धालुओं को कल स्नान में साफ पानी मिलेगा इसके आसार कम नजर आ रहे हैं, क्योंकि कान्ह और शिप्रा के बीच त्रिवेणी पर मिट्टी का अस्थायी पुल नहीं बनाया गया और इसी के कारण कान्ह का काला दूषित पानी लगातार नर्मदा के पानी में मिलकर उसे भी प्रदूषित कर रहा है।