वैसे तो शनि देव को ज्योतिष (Astrology) शास्त्र में एक क्रूर ग्रह माना गया है। यही कारण है कि साल 2022 और अप्रैल 2022 से शुरु होने वाले हिंदू नववर्ष यानि संवत्सर 2079 के राजा न्याय के देवता शनिदेव ही रहेंगे। ज्योतिषों (Astrology) का तो यह भी कहना कुंडली में बैठे शनि जब अशुभ होते हैं तो व्यक्ति का जीवन मुसीबत और कष्टों से भर देते हैं. इसीलिए शनि देव को शांत रखने पर जोर दिया जाता है। वर्तमान समय में 5 राशियों पर शनि की विशेष दृष्टि है।
ज्योतिष (Astrology) के अनुसार वर्तमान समय में तीन राशियों पर शनि की साढ़े साती और दो राशियों पर शनि की ढैय्या चल रही है. मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या। धनु, मकर और कुंभ राशि पर साढ़े साती चल रही है।
वहीं 29 अप्रैल 2022 को शनि कुंभ राशि में प्रवेश करेगें. शनि के इस गोचर का सबसे ज्यादा प्रभाव कुंभ राशि के लोगों पर ही पड़ेगा. इसके अलावा मकर, मीन, कर्क और वृश्चिक राशियां भी शनि के इस गोचर से प्रभावित होंगी।
शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही कुंभ वालों पर शनि साढ़े साती का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की साढ़े साती का ये चरण सबसे कष्टदायी माना जाता है क्योंकि इस दौरान शनि साढ़े साती अपने चरम पर होती है. इस दौरान व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है।
शनिदेव के संबंध में मान्यता है कि यह एक शिक्षक के रूप में होने के साथ ही कर्म भाव के भी कारक होते हैं। वहीं यमदेव के भी शनिदेव के भाई होने के चलते, यह जातकों द्वारा किए गए कर्मों के हिसाब से मूल्यांकन करके दुनिया को संतुलित करते हैं।
पंचांग के अनुसार 15 जनवरी 2022, शनिवार का दिन विशेष है. इस दिन प्रदोष व्रत है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है. शनि देव को शास्त्रों में शिव भक्त बताया गया है। इसलिए शनि देव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन उत्तम संयोग बना हुआ है। इस दिन मृगशिरा नक्षत्र रहेगा। शनिवार के दिन दोपहर 2 बजकर 31 मिनट तक ब्रह्म योग बना हुआ है। इसके बाद एंद्र योग आरंभ होगा. इन दोनों ही योग को पूजा के लिए उत्तम माना गया है. शनिवार के दिन शनि देव पर सरसों का तेल चढ़ान से शनि की अशुभता में कमी आती है। इस दिन शनि चालीसा और शनि मंत्रों का जाप उत्तम माना गया है।