नई दिल्ली (New Delhi) । ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में शनि (Shani) को एक क्रूर और न्यायप्रिय देवता (god of justice) माना गया है. कहते हैं कि शनि व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं. शनि की कृपा से व्यक्ति को जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती. वहीं, शनि की कुदृष्टि व्यक्ति को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है. ज्योतिष शास्त्र में शनि की कुछ दशाएं और योग बहुत ही खतरनाक और हानिकारक माने गए हैं.
ज्योतिष शास्त्र में ऐसे तीन योग हैं, तो शनि के साथ बनते हैं. ये खतरनाक योग अगर किसी जातक की कुंडली में होते हैं, तो उसे पूरी तरह से तबाह करके ही मानते हैं. इन योगों के कारण व्यक्ति को जीवन में हर कदम पर उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं, व्यक्ति को हर कदम पर असफलता प्राप्त होती है. जानें इन तीन योगों के बारे में.
शनि और राहु का योग
ज्योतिष शास्त्र में शनि और राहु दोनों को ही क्रूर ग्रह माना गया है. अगर किसी जातक की कुंडली में ये दोनों ग्रह साथ होते हैं, तो व्यक्ति को आर्थिक स्तर के साथ-साथ परिवार में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कहते हैं कि इस योग के कारण व्यक्ति को गोपनीय योग पकड़ लेता है. इस कारण व्यक्ति को अचानक कई कष्टों का सामना करना पड़ता है. इस योग के कारण व्यक्ति के जीवन में समस्याएं बढ़ती हैं.
उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस योग की दुष्प्रभावों से बचने के लिए शनिवार के दिन शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. साथ ही, सरसों के तेल का दान करें.
शनि और चंद्र योग
कहते हैं कि अगर जातक की कुंडली में ये योग होता है, तो उसे नशीले पदार्थों की लत लग जाती है. व्यक्ति गलत राह पर चलने लगता है. इतना ही नहीं, कहते हैं कि अगर शनि की दशा खराब हो जाए, तो व्यक्ति अपराध भी करने लगता है. इतना ही नहीं, व्यक्ति अवसाद का शिकार भी हो सकता है.
उपाय
इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए व्यक्ति को सोमवार का उपवास करना चाहिए. गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक करें. शनिवार के दिन दवाओं का दान करें. व्रत में सिर्फ जल और दूध का सेवन करें.
सूर्य और शनि का योग
इस योग के चलते व्यक्ति को हर कार्य में असफलता का सामना करना पड़ता है. तमाम प्रयास और परिश्रम के बावजूद भी व्यक्ति अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल नहीं हो पाता. पिता और पुत्र के के संबंधों में दरार आ जाती है. साथ ही, व्यक्ति हड्डियों के रोग से घिर जाता है.
उपाय
इसके बुरे प्रभावों से बचने के लिए जातक को नियमित रूप से उगते हुए सूर्य को जल देना चाहिए. साथ ही, शाम के समय पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें. तांबे के पात्र में भोजन करें. साथ ही, सूर्य मंत्र ॐ सुर्यपुत्राय नमः” नमः का जाप करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करते है.)
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