नई दिल्ली (New Delhi) । प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat ) भगवान शिव की उपासना के लिए सबसे शुभ और मंगलकारी दिन माना जाता है. हर महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखने का विधान है. ये व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में ही रखा जाता है. इस बार प्रदोष व्रत 04 मार्च यानी आज रखा जा रहा है. ये प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इसे आज शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat ) के नाम से जाना जाएगा. साथ ही इस दिन शिव जी के साथ-साथ शनिदेव (Shani Dev) की आराधना करने से सभी हर तरह की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है.
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
पुराणों के अनुसार, इस व्रत को करने से लम्बी आयु का वरदान मिलता है. हालांकि, प्रदोष व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष माना जाता है, लेकिन शनि प्रदोष का व्रत करने वालों को भगवान शिव के साथ ही शनि की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है. इसलिए इस दिन भगवान शिव के साथ ही शनिदेव की पूजा अर्चना भी करनी चाहिए. मान्यता है कि ये व्रत रखने वाले जातकों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.
शनि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
फाल्गुन माह (Falgun month) के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 04 मार्च यानी आज सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर शुरू हो रही है. इसका समापन अगले दिन 05 मार्च यानी कल दिन में 02 बजकर 07 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, 04 मार्च यानी आज ही शनि प्रदोष व्रत रखा जा रहा है. 04 मार्च की शाम 06:23 बजे से लेकर रात 08:50 बजे तक प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं.
शनि प्रदोष व्रत पूजन विधि
शिव मंदिरों में शाम के समय प्रदोष काल में शिव मंत्र का जाप करें. शनि प्रदोष के दिन सूर्य उदय होने से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें. गंगा जल से पूजा स्थल को शुद्ध कर लें. बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें. इसके बाद ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें और शिव को जल चढ़ाएं. शनि की आराधना के लिए सरसों के तेल का दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं. एक दीपक शनिदेव के मंदिर में जलाएं. व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर ही करें.
शनि प्रदोष व्रत की सावधानियां और नियम-
1. मंदिर और सारे घर में साफ सफाई का ध्यान रखें.
2. साफ-सुथरे कपड़े पहनकर ही भगवान शिव और शनि की पूजा अर्चना करें.
3. शनि प्रदोष व्रत में मन में किसी तरीके के गलत विचार ना आने दें.
4. घर के सभी लोग आपस में सम्मान पूर्वक बात करें.
5. शनि प्रदोष व्रत में बड़ों का निरादर ना करें और ना ही माता पिता का निरादर करें.
6. शनि प्रदोष व्रत में हरे भरे पेड़-पौधों को ना तोड़ें.
7. सारे व्रत विधान में अपने आप को भगवान शिव और शनि को समर्पण कर दें.
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं हम इसकी जांच का दावा नहीं करते हैं. इन्हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
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