डेस्क: शनिदेव जिन्हें स्वयं भगवान भोलेनाथ ने दंडाधिकारी नियुक्ति किया है उनका नाम आते ही लोग परेशान हो जाते हैं. शनिदेव कर्मफलदाता ग्रह हैं. यह व्यक्तियों को उनके कर्मों के अनुसार ही शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं. ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह का विशेष महत्व होता है. जिन जातकों की कुंडली में शनिदेव अशुभ घर में विराजमान होते हैं उनको जीवन में तरह-तरह के कष्ट मिलते हैं. कुंडली में शनि की दशा ठीक नहीं होने पर व्यक्ति का राजपाठ, वैभव और धन दौलत सभी नष्ट हो जाता है.
वहीं अगर किसी जातक की कुंडली में शनि अच्छे भाव में मौजूद हों तो सामान्य व्यक्ति को भी बड़े से बड़े पद पर पहुंचा देते हैं. ज्योतिष में शनिदेव की साढ़ेसाती और ढैय्या बहुत ही कष्टकारी मानी जाती है. जिन जातकों के ऊपर साढ़ेसाती चलती है उनके जीवन में उन्हे आर्थिक नुकसान, गंभीर बीमारियां और तरह-तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है. लेकिन शनिदेव सभी को उतना कष्ट नहीं देते हैं. सभी 12 राशियों में शनिदेव 5 राशि के जातकों पर विशेष रूप से मेहरबान रहते हैं.
ज्योतिष के अनुसार शनिदेव को दो राशियों का स्वामी माना गया है. मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव होते हैं. ये दोनों ही राशियां शनिदेव को बेहद ही प्रिय होती हैं. ज्योतिष में राहु और केतु को छोड़कर सभी ग्रहों को किसी न किसी राशि का स्वामित्व प्राप्त है. जिन ग्रहों को जिस राशि का स्वामित्व मिला होता है वे ग्रह उन राशियों पर विशेष मेहरबान रहते हैं. शनिदेव मकर और कुंभ राशि के अलावा कुछ और भी राशियों पर मेहरबान रहते हैं. इन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव नहीं रहता है. शनिदेव इन राशियों पर हमेशा ही अपनी शुभ द्दष्टि डालते हैं.
शनिदेव की 5 प्रिय राशियां कौन-कौन सी है
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