10 जुलाई दिन शनिवार के दिन सुबह 6 बजकर 47 मिनट तक अमावस्या तिथि लग चुकी है, इसके बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। सूर्योदय अमावस्या तिथि में होने की वजह से इस दिन अमावस्या तिथि का ही मान रहेगा। शास्त्रों में बताया गया है कि जब शनिवार (Saturday) के दिन अमावस्या तिथि लगती है तो इसका महत्व कई गुना बढ जाता है और इस दिन को शनि अमावस्या(Shani Amavasya ) तिथि कहते हैं। शनिवार के स्वामी देवता शनि महाराज हैं और अमावस्या तिथि में इनका जन्म हुआ है। इसलिए जब भी शनिवार के दिन अमावस्या तिथि का दुर्लभ संयोग बनता है तो इस दिन शनि महाराज की पूजा (worship) करना बहुत ही लाभप्रद होता है, ऐसा शास्त्रों में बताया गया है। इस दिन पितरों के लिए जल अर्पण का भी विधान है, इससे पितृगण संतुष्ट होते हैं।
धर्म शास्त्रों के अनुसार, अमावस्या तिथि अगर शनिवार को आए तो उसका महत्त्व बहुत बढ़ जाता है क्योंकि कई धार्मिक कार्य केवल इसी अमावस्या तिथि के दिन ही किए जाते हैं। मान्यता है शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने का यह दुर्लभ समय होता है।
शास्त्रों के अनुसार, इसे अति दुर्लभ संयोग माना जाता है। वर्ष भर में एक या दो बार ही शनि अमावस्या आती है। कभी-कभी वर्ष में एक बार भी शनि अमावस्या का योग नहीं बनता। पौराणिक धर्म ग्रंथों (mythological scriptures) और सनातन धर्म में शनि अमावस्या को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
मान्यताओं के अनुसार, अगर कोई जातक कालसर्प योग, ढैय्या या फिर शनि की साढ़ेसाती से परेशान हो तो उसके लिए यह तिथि अत्यंत शुभ है। कहते हैं कि इस दिन शनि संबंधी अनेक दोषों से राहत पाने के लिए अगर केवल दव्यांगो को यथाशक्ति दान ही कर दिया जाए तो भी शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं और जातकों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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