सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत (India) दुनिया के आधुनिक देशों के साथ विकास की दौड़ लगा रहा है. आधुनिकता के तमाम दावों के बीच अभी भी ऐसी कुछ घटनाएं सामने आती हैं, जो शर्म से सिर को झुका देती हैं. राजस्थान के जालौर जिले में कुछ ऐसा ही घटा है, जहां तपती धूप में सफर कर रही एक 6 साल की बच्ची की पानी ना मिलने से मौत हो गई, बच्ची अपनी नानी के साथ थी, वो भी बेहोश हो गई थीं.
ये मामला राजस्थान के जालौर जिले के रानीवाड़ा (Raniwada) इलाके का है. जहां रविवार को रेतीले टीलों में एक बच्ची की मौत हो गई. बच्ची अपनी नानी के साथ थी, यहां 45 डिग्री का तापमान था और गर्म टीलों पर सफर हो रहा था. जब ग्रामीणों को इनका पता लगा तो उन्होंने पुलिस को सूचित किया.
पुलिस मौके पर पहुंची, बुजुर्ग को पानी पिलाया और अस्पताल (Hospital) में भर्ती किया. वहीं, मासूम के शव को भी अस्पताल ले जाया गया, वहां उसका पोस्टमॉर्टम हुआ और मौत का कारण पानी ना मिलना ही निकला.
क्यों पैदल सफर कर रहे थे दोनों?
बताया जा रहा है कि 60 साल की सुखी देवी अपनी नातिन अंजलि के साथ सिरोही के पास रायपुर से दोपहर में रानीवाड़ा क्षेत्र के डूंगरी स्थित अपने घर आ रही थीं. कोरोना काल (corona period) के चलते वाहनों की आवाजाही बंद होने के कारण उन्हेंक कोई साधन नहीं मिला. इस पर वह अपनी नातिन के साथ पैदल ही अपने गांव चल पड़ीं. करीब 20 से 25 किलोमीटर का सफर तय करने से दोनों बुरी तरह से थक गई थीं.
इसी दौरान रेतीले धोरों में दोनों प्यास से बेहाल हो गईं. पानी न मिलने से रोड़ा गांव के पास जहां मासूम अंजलि की मौत हो गई, वहीं सुखी देवी बेहोश होकर गिर गईं. कोरोना काल और गर्मी का मौसम होने के कारण काफी देर से कोई उधर से गुजरा भी नहीं तो लोगों को घटना की जानकारी भी नहीं मिल पाई. पोस्टमॉर्टम (Postmortem) के बाद बच्ची के शव को दफना दिया गया है.
केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस पर साधा निशाना
पीने का पानी ना मिलने की वजह से एक बच्ची की मौत हो गई, अब इस मसले पर राजनीतिक बयानबाजी भी हो रही है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर कांग्रेस सरकार (Congress government) पर सवाल खड़े किए. प्रकाश जावड़ेकर ने लिखा कि 9 घंटे तक पीने का पानी न मिलने के कारण हुई एक बच्ची की मृत्यु, बेहद शर्मनाक घटना है. इसके लिए राजस्थान सरकार ज़िम्मेदार है. सोनिया, राहुल, प्रियंका अब चुप क्यों हैं?
वहीं, जालौर जिले में पहुंचे राज्य सरकार के प्रतिनिधि लगातार इस घटना से जुड़े सवालों से बचते हुए नज़र आए.
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