img-fluid

यौन शोषण के आरोपी प्रज्वल रेवन्ना का हो सकता है पोटेंसी टेस्ट, कितना जरूरी है ये जांच

June 03, 2024

नई दिल्ली. जनता दल सेकुलर (JDS) के सांसद (MP) प्रज्वल रेवन्ना (Prajwal Revanna) के शुक्रवार को जर्मनी (Germany) से लौटते ही उन्हें स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (SIT) ने हिरासत में ले लिया. ये टीम प्रज्वल पर लगे यौन उत्पीड़न (Sexual assault) मामलों की जांच करेगी. माना जा रहा है कि इस दौरान निलंबित सांसद का पोटेंसी टेस्ट (potency test) भी हो सकता है. रेप के दोषी आसाराम (Asaram) का भी ये टेस्ट हुआ था, जब उसने उम्र का हवाला देते हुए खुद को नपुंसक बताया.


क्या है पोटेंसी टेस्ट

इस टेस्ट में देखा जाता है कि कोई पुरुष सामान्य हालातों में यौन संबंधों के लिए शारीरिक तौर पर कितना तैयार रहता है. यह एक तरह की मेडिकल जांच है, जो तलाक, पैटरनिटी के मामलों में सबूत के तौर पर दिखाई जाती है. जैसे पत्नी नपुंसकता के आधार पर तलाक की मांग करे, और अगला पक्ष राजी न हो, तब ये जांच भी हो सकती है.

यौन शोषण के मामलों में कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (CrPC) का सेक्शन 53 पोटेंसी टेस्ट पर उतना जोर नहीं देता. उसकी बजाए खून, खून के धब्बे, वीर्य, स्पटम, पसीना, बालों और नाखूनों के सैंपल की जांच होती है. डॉक्टर तय करते हैं कि कौन कौन सी जांचें की जाएंगी.

रेप केस में कितना जरूरी या गैरजरूरी है टेस्ट

यौन उत्पीड़न के आरोप लगने पर आरोपी पक्ष का वकील कोर्ट में पोटेंसी टेस्ट की रिपोर्ट भी लगाता है, ये कहते हुए कि उनका मुवक्किल यौन संबंध बनाने के लायक नहीं है. हालांकि बचाव पक्ष की ये दलील खास काम की नहीं है. पोटेंसी स्थाई नहीं. कई बार ये मानसिक स्थिति के अनुसार भी बदलती है. सिर्फ किसी खास समय पर पुरुष यौन संबंधों के लिए असमर्थ है, इसका मतलब ये नहीं कि वो बाकी समय भी वैसा ही रहेगा. कोर्ट में जाने पर भी ये रिपोर्ट्स सरसरी तौर पर ही देखी जाती हैं.

बलात्कार की परिभाषा ब्रॉड होने से घटी वैल्यू

साल 2013 से पहले पोटेंसी टेस्ट की अहमियत थी. आज से दस साल पहले कानून में रेप की परिभाषा बदली, जिसके बाद अदालत में इस जांच की वैल्यू कमजोर हो गई. पहले इंडियन पीनल कोड (IPC) में रेप केवल तभी माना जाता था, जब इंटरकोर्स हुआ हो. अब सेक्शन 375 की परिभाषा में कई दूसरी चीजें जुड़ी हैं, जिसमें नॉन-पेनिट्रेटिव रेप भी शामिल है. इंटरकोर्स इसका केवल एक हिस्सा है. ऐसे में पोटेंसी टेस्ट कोई सबूत नहीं रहा. मानवाधिकार संगठन भी पोटेंसी टेस्ट का विरोध करते आए हैं कि इससे निजता का हनन होता है.

साल 2013 में नाबालिग लड़की ने आसाराम पर रेप के आरोप लगाए थे, तब भी दोषी का पोटेंसी टेस्ट हुआ था. दरअसल दोषी बार-बार दावा कर रहा था कि उम्र की वजह से वो संबंध बनाने में असमर्थ है, ऐसे में बलात्कार कैसे कर सकता है. इन्हीं दावों की जांच के लिए पुलिस ने पोटेंसी टेस्ट किया था, जिसमें आसाराम गलत साबित हुआ.

प्रज्वल का क्यों हो सकता है टेस्ट

निलंबित सांसद के मामले में यह जांच ब्रॉडर इनवेस्टिगेशन का हिस्सा हो सकती है, जिसमें बहुत से दूसरे मेडिकल टेस्ट भी होंगे. जांच से आरोपी की शारीरिक क्षमता का थोड़ा-बहुत अंदाजा हो सकता है, लेकिन ये निश्चित सबूत नहीं होगा, बल्कि पीड़िताओं के दावे और बाकी लीगल प्रमाण ज्यादा मायने रखेंगे.

Share:

मध्यप्रदेश के दो शहरों में हिंसा. बुरहानपुर-जबलपुर में पथराव और हथियार चले ... सुरक्षा बल तैनात

Mon Jun 3 , 2024
सोमवार। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के दो शहरों (two cities) में बीती रात भडक़ी हिंसा (flared violence) के बाद तनाव फैल गया, जिसके चलते सुरक्षा (Security) कड़ी कर दी गई है। बुरहानपुर (Burhanpur) के गणपति नगर क्षेत्र में एक युवक द्वारा मुस्लिम धर्म के खिलाफ पोस्ट पर मचे बवाल के बाद दो पक्षों में जमकर पत्थरबाजी […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
शनिवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved