नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन शोषण मामला बंद कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने रंजन गोगोई के खिलाफ लगे यौन शोषण के आरोप के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच शुरू की थी, जिसे गुरुवार को न्यायपालिका के खिलाफ साजिश बताते हुए बंद कर दी है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि करीब दो साल गुजर गए हैं और जांच के लिए इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड हासिल करने की संभावना बहुत कम है। स्वत: संज्ञान से शुरू की गई जांच प्रक्रिया बंद करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायमूर्ति गोगोई के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न मामले की अंदरूनी जांच पहले ही पूरी की जा चुकी है और न्यायमूर्ति एसए बोबड़े (वर्तमान प्रधान न्यायाधीश) की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय पैनल ने उन्हें दोष मुक्त करार दिया था।
शीर्ष अदालत ने खुफिया ब्यूरो के निदेशक की चिट्ठी का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि चूंकि न्यायमूर्ति गोगोई ने असम में राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनआरसी) सहित अन्य कई मुश्किल फैसले सुनाए हैं, इसलिए संभवत: उन्हें फंसाने की साजिश की जा रही है।
न्यायमूर्ति पटनायक के हवाले से पीठ ने कहा कि यह मानने के ठोस कारण हैं कि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश गोगोई को फंसाने की साजिश की गई होगी।
पीठ ने कहा कि 25 अप्रैल, 2019 के आदेशानुसार न्यायमूर्ति पटनायक पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि वह व्यावहारिकता में इसकी जांच नहीं कर सकता है कि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश के न्यायिक फैसलों के कारण गोगोई के खिलाफ साजिश रची गई।
बता दें कि एक महिला ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच कराने का आदेश दिया था।साथ ही कहा था कि आरोप बेहद गंभीर हैं। हमें सच्चाई का पता लगाना होगा। अगर हमने हमारी आंखें बंद कर ली तो देश का भरोसा उठ जाएगा।
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