भोपाल। सेक्स वर्करों को बिना पहचान खोले अब राशन वितरण प्रणाली में जोड़कर राशन दिया जा रहा है। पहली बार ऐसा हुआ है कि उचित मूल्य की दुकानों से खुद सेक्स वर्करों को राशन मिल रहा है। पहचान गोपनीय रखने के लिए इनकी पात्रता पर्ची जारी होने की अनिवार्यता को लागू नहीं किया गया है। उचित मूल्य की दुकान पर आकर अंगूठा पीओएस मशीन में लगाकर राशन जारी करने की व्यवस्था है। कोरोना संक्रमण काल में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सेक्स वर्करों की परेशानी देखते हुए घर पर दो माह का राशन पहुंचवाया गया था। यह सेक्स वर्करों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे की कवायद है। ज्ञात रहे मार्च से लगे लाकडाउन में सेक्स वर्करों की आय बंद हो गई थी। वह आजीविका चलाने तक को परेशान हो गए थे। ऐसे में गुजरात में एक एनजीओ ने सेक्स वर्करों की परेशानियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इस पर अक्टूबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को आदेश दिए कि सेक्स वर्करों की स्थिति को लेकर उपाय किए जाएं। इस क्रम में कोर्ट ने सूखा राशन उपलब्ध कराने के आदेश जारी किए। आदेश के परिपालन में राज्य सरकार ने सेक्स वर्करों को सूखा राशन उपलब्ध कराने रजिस्टर्ड एनजीओ को जिम्मा सौंपा और राशन वितरण कराया।
कहा कितने सेक्स वर्कर
राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के आधार पर डाटा
प्रदेश के विभिन्न जिलों में चिन्हित मेल, फीमेल और ट्रांसजेंडर सेक्स वर्करों को राशन दुकान से राशन दिया जा रहा है। इससे पहले जब दो माह का राशन डोर-टू-डोर बांटा गया था। राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी की ओर से प्रदेशभर में अलग-अलग जिलों में एनजीओ के नाम दिए गए हैं। भोपाल में अब इसी डाटा के आधार पर 1173 सेक्स वर्कर चिन्हित हैं, जिन्हें राशन वितरण नेटवर्क से जोड़ा गया है।
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