इन्दौर। कई दिनों की नाला टेपिंग और जगह-जगह खुदाई के बाद कान्ह नदी के अलग-अलग हिस्सों में गिरने वाला सीवरेज का पानी बंद करने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य किए गए थे और इस पर करीब 300 करोड़ रुपये की राशि खर्च हुई थी, जिसको लेकर शुरुआती दौर में ही खूब हल्ला मचा था। अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट पर फिर से निगम में हडक़ंप मचा हुआ है। बोर्ड ने पत्र लिखकर निगम अफसरो को बताया कि चंद्रभागा से लेकर कृष्णपुरा छत्री के अलग-अलग हिस्सों में नदी के पानी के सैंपल लेकर जांच कराई गई तो उसमें सीवरेज का पानी भी होना पाया गया।
चार से पांच साल पहले से नगर निगम ड्रेनेज और अन्य विभागों ने नाला टेपिंग का कार्य बड़े पैमाने पर शुरू कराया था, जिसके लिए पूरे शहरभर में सडक़ें खोदी गई थीं और नदी-नालों में गिरने वाले 550 से ज्यादा आउटफाल बंद करने का दावा किया गया था। नदी-नाले किनारे रहने वाले कई लोगों से कम राशि लेकर उनके ड्रेेनेज और अन्य खुले पाइपों को लाइनो में जोड़ा गया था। इसके बाद निगम ने कान्ह नदी के शेखर नगर हिस्से में एसटीपी प्लांट बनाया था, जिसका उपचारित पानी नदी में छोड़े जाने का दावा किया जाता रहा है। इन सबके चलते बीस दिन पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने कृष्णपुरा छत्री, चंद्रभागा, शेखर नगर, गणगौर घाट, साउथ तोड़ा क्षेत्र, रामबाग सहित करीब 20 स्थानों से नदी के पानी के सैंपल लिए थे और यह सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए थे।
सैंपलों में पाया गया सीवरेज का पानी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक लिए गए सैंपलों की जब जांच रिपोर्ट आई तो बोर्ड के अधिकारी भी सख्ते में आ गए। यह सैंपल लिम्बोदी से लेकर धनखेड़ी के बीच पूरे कान्ह इलाके से लिए गए थे। रिपोर्ट में आया कि सभी जगह कान्ह नदी के पानी में सीवरेज का पानी भी मिला है। इसके बाद निगम के संबंधित अधिकारियो को अलर्ट करने के लिए चिट्ठी लिखी गई।
कबीटखेड़ी में साफ पानी छोड़ते हैं वहां के हिस्सों में भी मिला सीवरेज
कबीटखेड़ी क्षेत्र में नगर निगम ने सीवरेज ट्रीटमेंट का बड़ा प्लांट लगा रखा है और प्रतिदिन बड़े पैमाने पर सीवरेज का पानी ट्रीट कर उसे कान्ह के अलग-अलग हिस्सों में छोड़े जाने का दावा किया जाता है। कबीटखेड़ी से आगे की ओर कई गांवों में कान्ह का पानी गुजरता है, वहां भी सैंपल लिए गए तो धनखेड़ी सहित कई गांवों में कान्ह के पानी में सीवरेज मिलने की पुष्टि हुई।
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