नई दिल्ली (New Delhi)। दिल्ली में यह क्या हो रहा है. दिल्ली की गर्मी तो गरीबों के लिए अब काल बन गई है. इतनी गर्मी पड़ रही है कि अब लाशें बिछने लगी हैं. जी हां, भीषण गर्मी (scorching heat) अब कातिल हो चली है. हर दिन लोगों की जान ले रही है. दिल्ली में भयंकर गर्मी और लू की वजह से मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. दिल्ली में पिछले 48 घंटों में 50 शव बरामद होने से हड़कंप मच गया है. 9 दिनों में तो 192 बेघर लोग गर्मी से जान गंवा चुके हैं. अधिकारियों की मानें तो 48 घंटों के दौरान दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से वंचित सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से जुड़े 50 लोगों के शव बरामद किए गए. यह सबकुछ भीषण गर्मी की वजह से है.
अस्पतालों में मरीजों की भीड़
भीषण गर्मी का प्रकोप जारी रहने के चलते ‘लू’ लगने से जान गंवाने वाले लोगों और यहां अस्पतालों में इससे पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. गंभीर जल संकट से जूझ रही दिल्ली में अधिकतम तापमान सामान्य से चार डिग्री अधिक 43.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. शहर में न्यूनतम तापमान 35.2 डिग्री सेल्सियस रहा जो 1969 के बाद जून में सबसे अधिक है. केंद्र द्वारा संचालित राममनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में पिछले दो दिन में 22 मरीज लाए गए.
आरएमएल में कितनी मौतें?
आरएमएल अस्पताल में गर्मी की वजह से पांच मरीजों की मौतें हुई हैं और 12 से 13 मरीज जीवनरक्षक प्रणाली पर हैं. अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीड़ितों को कोई अन्य बीमारी नहीं थी. जब ऐसे लोग अस्पताल आते हैं, तो उनके शरीर का तापमान दर्ज किया जाता है. अगर यह 105 डिग्री फारेनहाइट से अधिक पाया जाता है और कोई अन्य कारण नहीं होता है, तो उन्हें लू से पीड़ित मरीज घोषित कर दिया जाता है. उन्होंने बताया कि लू के कारण मरने वालों को हीटस्ट्रोक का संदिग्ध मामला घोषित किया जाता है. दिल्ली सरकार की एक समिति है जो बाद में मौतों की पुष्टि करती है. शरीर को तुरंत ठंडा करने के लिए अस्पताल ने अपनी तरह की पहली ‘हीटस्ट्रोक यूनिट’ स्थापित की है.
सफदरजंग में भी लू के मरीजों की भीड़
वहीं, सफदरजंग अस्पताल में लू लगने से बीमार होने के कुल 60 मरीज आए, जिनमें से 42 को भर्ती किया गया. अस्पताल ने छह लोगों की मौत की सूचना दी है, जिसमें 60 वर्षीय एक महिला और 50 वर्षीय एक पुरुष शामिल हैं, जिनकी मंगलवार को मौत हो गई. लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, पिछले दो दिन में हीटस्ट्रोक के कारण चार मरीजों की मौत हो गई है. अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को संदिग्ध हीटस्ट्रोक के कारण दो मौतें हुईं और बुधवार को भी दो लोग हताहत हुए. हीटस्ट्रोक के 16 मरीज भर्ती हैं.
शरीर का पारा 107 तक चला जा रहा
पीड़ितों में से एक की 15 जून को इलाज के दौरान मौत हो गई. उसकी उम्र करीब 39 साल थी, वह एक मोटर मैकेनिक था, जो जनकपुरी में अपनी दुकान पर काम करते समय बेहोश हो गया था. जब उसे अस्पताल लाया गया था तो वह तेज बुखार से जूझ रहा था. हीटस्ट्रोक के लक्षणों पर बात करते हुए अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मरीज शरीर में पानी की मात्रा घटने के कारण कभी-कभी बेहोश हो जाते हैं.
उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत तेज बुखार भी होता है, जिससे शरीर का तापमान 106 से 107 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाता है. दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में प्रतिदिन बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में हीटस्ट्रोक के 30 से 35 मामले सामने आ रहे हैं. अस्पताल के आंतरिक चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डॉ. अतुल कक्कड़ ने कहा कि ओपीडी में, चिकित्सा सुविधाएं गर्मी से होने वाली बीमारियों से संबंधित साप्ताहिक 30 से 35 मामलों की रिपोर्ट कर रही हैं. इनमें मांसपेशियों में ऐंठन और थकावट जैसी स्थितियां शामिल हैं.
भीषण गर्मी के कारण ल्यूपस का प्रकोप बढ़ रहा है जो त्वचा, जोड़ों और गुर्दे के अलावा अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है. ल्यूपस से पीड़ित लोगों को अक्सर तापमान बढ़ने के साथ ही लक्षण बढ़ने लगते हैं. मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली में बुधवार को 12 वर्षों में सबसे गर्म रात रही और न्यूनतम तापमान 35.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से आठ डिग्री अधिक था. इस बीच, पुलिस ने कहा कि उसे सुरक्षा गार्डों, भिखारियों या वंचित वर्ग के लोगों की अस्वभाविक मौतों के संबंध में फोन पर सूचना मिल रही है.
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