- शहर के प्राचीन जल स्त्रोत सिर्फ बगीचों को सींचने के काम आ रहे
उज्जैन। गंभीर डेम में पानी को लेवल 400 एमसीएफटी के करीब आ गया है। इसके साथ ही इसके सहयोगी बड़े जल स्त्रोतों में उंडासा और साहिबखेड़ी तालाब भी सूख गए हैं। दोनों की सतह नजर आने लगी है। इधर शहर के प्राचीन जलस्त्रोत जिन्हें साफ किया गया है उनका उपयोग सिर्फ बगीचों तक पानी उपलब्ध कराने में हो रहा है। उल्लेखनीय है कि मानसून की बेरूखी अभी से नजर आने लगी है। पिछले साल जून महीना शुरु होने के सप्ताह भर पहले ही प्री मानसून की बारिश शुरु हो गई थी लेकिन आज जून माह के 10 दिन बीत चुके हैं और मानसून के बादलों के दूर-दूर तक आसार नजर नहीं आ रहे। गंभीर डेम में अब 400 एमसीएफटी के लगभग पानी शेष रह गया है, कुल मिलाकर शहर में पेयजल उपलब्ध कराने वाले एक मात्र साधन गंभीर डेम का कंठ भी सूखने की कगार पर पहुँच गया है।
इधर नगर निगम तथा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा जल शक्ति और स्वच्छ भारत अभियान के तहत कुओं की सफाई का काम शुरु किया गया था और शहर के 120 सार्वजनिक बड़े कुओं को इस योजना में शामिल करते हुए उनकी सफाई कराई थी। दावा किया गया था कि जिन जल स्त्रोतों में पानी की अच्छी क्षमता है और कूड़ा कचरा भरा है। इस कूडें़ कचरे को साफ कर कुएं में पानी की प्राकृतिक क्षमता बढ़ाने का काम किया जाएगा। इन कुएं के पानी को पीने योग्य होने पर आसपास के क्षेत्रों में पेयजल में उपयोग लिया जाएगा। जो पानी पीने योग्य नहीं है उसे उद्यानों में सिंचाई और अन्य कार्यों में उपयोग किया जाएगा। अभियान में सभी 120 कुएँ बावड़ी की सफाई नगर निगम पूरी करने का दावा कर रहा है लेकिन इनका पानी अभी टैंकरों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाने की व्यवस्था शुरु नहीं की है। कुछ जल स्त्रोतों से केवल बगीचों को सींचने के लिए पानी लिया जा रहा है। इधर गंभीर डेम के सहायक बड़े जल स्त्रोतों के रूप में पहचाने जाने वाले उंडासा और साहिबखेड़ी तालाब भी सूख गए हैं। यही स्थिति रही तो अगले 15 दिनों में जलसंकट गहराने लगेगा।