उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय की समाजशास्त्र एवं समाज कार्य अध्ययन शाला में बुधवार को कैसे बनाएं नशा मुक्त भारत विषय पर कार्यशाला का आयोजन पुरस्कार वितरण के साथ हुआ। इसके साथ ही सात दिवस से चल रहे कार्यक्रमों का समापन किया गया।
डॉ. मनीषा चौरे ने कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि सप्ताह भर पोस्ट निर्माण प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता आदि कार्यक्रम होंगे। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. ज्योति उपाध्याय ने नशे के विरुद्ध जन जागरूकता में युवाओं की क्या भूमिका हो इस बाबत प्रभावी मार्गदर्शन दिया। परिचर्चा में एम.ए. समाजशास्त्र की छात्रा साक्षी सिंह बैंस ने नशे के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला, शिवानी जायसवाल ने दो केस स्टडी के उदाहरण देते हुए युवाओं को जागृत किया, श्रुति शर्मा ने आत्मनियंत्रण की आवश्यकता को इंगित किया, तनु अंजना ने दिखावे के चक्कर में न पड़ते हुए नशे की प्रवृत्ति से बचाव की बात कही जबकि रक्षा कारपेंटर ने युवाओं को बुरी संगत से बचने का सुझाव दिया।
बी. ए. राजनीति विज्ञान की छात्रा इंद्रा मालवीय ने कहा की सोशल मीडिया भी एक नशा है, क्योंकि लोगों में इसकी भी लत लग रही है, छात्र आदित्य मालवीय ने अनेक प्रकार के नशे की लत के विषय में बताया, चंचल चौहान ने परिवार पर नशे के बुरे प्रभावों को रेखांकित किया। महेश कुमावत ने दिखावे के कारण नशे के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त की, इसी प्रकार छात्रा परम वशिष्ठ में स्वयं नियंत्रण की बात कही। परिचर्चा में प्रथम पुरस्कार कुमारी रौनक यादव, ऑनर्स पॉलिटिकल साइंस पुरस्कार चंचल चौहान, तृतीय पुरस्कार कुमारी परम वशिष्ठ को प्रदान किए गए। अध्यक्षता डॉ. ज्योति उपाध्याय ने की और कहा कि नशे को शुरुआत से ही रोकना जरुरी है। डॉ. मनु गोराहा ने अतिथियों का परिचय दिया। संचालन डॉ. उत्तम ने मीणा ने किया।
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