इंदौर। जिला कोर्ट में आयोजित इस बार की नेशनल लोक अदालत में जो केस कोर्ट नहीं पहुंचे हंै, उनका भी अंबार लग गया है। इन्हें प्री-लिटिगेशन के केस के नाम से जाना जाता है। ऐसे करीब 27 हजार 206 प्रकरण हैं। बैंक के साथ मप्र बिजली वितरण कंपनी भी बकाया वसूली के लिए डेरा डाले बैठी है।
सूत्रों के अनुसार आज सुबह से जिला कोर्ट के मुख्य द्वार पर दो व चार पहिया वाहनों को रोकने के लिए पुलिस मुस्तैद है। कोर्ट परिसर में वकीलों के टीन-टप्पर के नीचे ही बैंकों के साथ बिजली व टेलीकॉम कंपनियों ने बकाया वसूली के लिए डेरा जमा लिया है। पूरे जिले में लोक अदालत के लिए 59 खंडपीठें बनाई गई हैं, जिनमें करीब 50 हजार प्रकरण रखे गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 28 हजार एक सौ प्रकरण प्री-लिटिगेशन के रखे हैं, जिनमें बैंक रिकवरी के 27 हजार 206, बिजली के 767 व जलकर के 127 प्रकरण हैं। यानी नेशनल लोक अदालत में जितने केस रखे गए हैं, उनसे आधे तो अभी कोर्ट में पेश होना ही बाकी हैं, जिन्हें कचहरी के बजाय लोक अदालत के जरिए राजी-मर्जी से निपटाने की कोशिश हो रही है।
शेष प्रकरण काफी समय से विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं। जो लंबित प्रकरण रखे गए हैं उनमें चेक बाउंस के मामले अव्वल नंबर पर हैं। ये 10 हजार 108 हैं। दूसरे नंबर पर बिजली संबंधी मामलों की संख्या 3313 है, जबकि तीसरे पायदान पर एक्सीडेंट में क्लेम से संबंधित केस हैं। जिला कोर्ट के अलावा फैमिली कोर्ट, श्रम न्यायालय, उपभोक्ता आयोग, सहकारिता, बैंक के अलावा महू, देपालपुर, सांवेर व हातोद तहसील में भी ये अदालतें आयोजित की गई हैं। हाईकोर्ट में भी करीब चार सौ केस रखे गए हैं। लोक अदालत में सरकार को लाखों रुपयों का राजस्व हासिल होने के आसार हैं, जबकि पीडि़तों को मिलने वाले मुआवजे का आंकड़ा करोड़ों रुपयों में हो सकता है।
बिजली, बीएसएनएल व नगरनिगम दे रही हंै छूटें
बताया जाता है कि अदालत को सफल बनाने के लिए बिजली विभाग व भारत संचार निगम लिमिटेड कई तरह की छूट दे रहे हैं। जबकि नगर निगम भी अपने मुख्यालय व झोनल कार्यालय पर आयोजित इन अदालतों में संपत्ति व जलकर पर सरचार्ज से राहत दे रहा है।
ये केस भी इतनी तादाद में…
राजीनामा लायक क्रिमिनल केस 1796
सिविल केस 810
फैमिली विवाद 563
श्रम 400
अन्य 1242
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