नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने गो फर्स्ट एयरलाइन पर गुरुवार को गंभीर टिप्पणी की है। इसे विमानन कंपनी के लिए झटके रूप में देखा जा रहा है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि निर्धारित रखरखाव का मतलब यह नहीं समझा जाना चाहिए कि विमानों को उड़ान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा है कि गो फर्स्ट पट्टेदारों के विमानों का उड़ान में इस्तेमाल नहीं कर सकता है। उच्च न्यायालय ने कहा कि एयरलाइन के प्रबंधन के लिए दिवाला कानून के तहत नियुक्त समाधान पेशेवर (आरपी) विमान के लिए कोई तात्कालिकता या कोई गंभीर खतरा नहीं दिखा पाए हैं, जिससे आरपी को अचानक और बिना किसी पूर्व सूचना के उन्हें उड़ान भरने के लिए मजबूर होना पड़ा।
न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू ने 28 जुलाई को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता पट्टेदारों के विमानों की हैंडलिंग/गैर-राजस्व उड़ानों के संबंध में 28 अगस्त तक यथास्थिति बनाए रखी जाए। उच्च न्यायालय ने आरपी की इस दलील को गलत बताया कि 10 में से दो विमान गो एयरलाइंस ने उड़ाए हैं क्योंकि ये विमानों के लिए निर्धारित रखरखाव गतिविधि का हिस्सा बनने वाली उड़ानों का संचालन कर रहे थे।
अदालत ने कहा, “गो एयरलाइंस के प्रतिवादी नंबर 9/आरपी भी इन विमानों के लिए कोई तात्कालिकता या कोई गंभीर आसन्न खतरा दिखाने में सक्षम नहीं है कि अचानक और बिना किसी पूर्व सूचना के, प्रतिवादी नंबर 9 यानी आरपी को इन विमानों को उड़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा।”
न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू जिन्होंने 28 जुलाई को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता पट्टेदारों के विमानों की हैंडलिंग/गैर-राजस्व उड़ानों के संबंध में 3 अगस्त तक यथास्थिति बनाए रखी जाए, ने अंतरिम आदेश को अगले आदेश तक बढ़ा दिया। उधर, गो फर्स्ट एयरलाइन ने जिसकी उड़ान सेवाएं मई की शुरुआत से बंद हैं, ने 6 अगस्त तक उड़ान रद्द करने की अवधि बढ़ाने की घोषणा की है, एयरलाइन ने गुरुवार को एक ट्वीट में यह जानकारी दी। एयरलाइन ने ट्वीट किया, “परिचालन कारणों से, 6 अगस्त 2023 तक गो फर्स्ट की उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। हमें हुई असुविधा के लिए खेद है…।”
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