पटना । केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि किसानों की सेवा ही (Serving Farmers) मेरे लिए (For Me) भगवान की पूजा है (Is Worship of God) । चौहान ने कहा कि बिहार का टैलेंट दुनिया में अद्भुत है। इस टैलेंट का ठीक से उपयोग कर न केवल बिहार भारत का सिरमौर बन सकता है, बल्कि इसका उपयोग कर भारत को दुनिया का सिरमौर भी बना सकता है।
पटना के कृषि भवन में शुक्रवार को किसानों के साथ परिचर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा । प्रधानमंत्री के प्रति आभार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने मुझे किसानों की सेवा का काम मुझे दिया है। किसानों की सेवा ही मेरे लिए भगवान की पूजा है। किसानों को भरोसा देते हुए उन्होंने कहा कि हमारी पूरी कोशिश है कि हम देश के किसानों का कल्याण कर सकें। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि यहां का मखाना, चावल, शहद, मक्का, चाय सब अद्भुत है। उन्होंने कहा कि बड़े जमीन के टुकड़े हमारे पास नहीं हैं, 91 प्रतिशत सीमांत किसान हैं, लेकिन फिर भी किसान चमत्कार कर रहे हैं। खेती से आय दोगुनी करने का अभियान प्रधानमंत्री मोदी जी ने शुरू किया है।
चौहान ने छह सूत्रों की चर्चा करते हुए कहा कि इसी पर सरकार काम कर रही है। अच्छे उत्पादन के लिए अच्छे बीज जरूरी हैं। उत्पादन अच्छा है लेकिन और संभावना है। फल, सब्जी, अनाज, दलहन, तिलहन के अच्छे बीज जरूरी हैं। उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि 65 फसलों की 109 प्रजातियों के बीज प्रधानमंत्री जी ने किसानों को समर्पित किये हैं। ऐसी धान की किस्म है, जिसमें 30 प्रतिशत कम पानी लगता है। बाजरे की एक किस्म है जिसकी फसल 70 दिन में आ जाती है। ऐसे बीज हैं जो जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हैं। बढ़ते तापमान में भी अच्छा उत्पादन देते हैं।”
कृषि मंत्री ने कहा कि उत्पादन की लागत घटाना हमारा संकल्प है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से किसानों को बहुत मदद मिलती है। केसीसी से खाद के लिए सस्ता लोन मिल जाता है। उत्पादन के ठीक दाम मिले, इसका प्रयास भी जारी है। उन्होंने मखाने की चर्चा करते हुए कहा कि यहां का मखाना धूम मचा रहा है। मखाना एक्सपोर्ट क्वालिटी का पैदा हो रहा है। चीजें एक्सपोर्ट होती हैं तो किसान को ज्यादा फायदा होता है। इससे जुड़ा कार्यालय बिहार में आये, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है।
चौहान ने कहा कि कृषि का विविधीकरण सरकार के रोडमैप में है। परंपरागत फसलों के साथ ही ज्यादा पैसे देने वाली फसलों को बढ़ावा देने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम करने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि इससे उर्वरक क्षमता भी कम होती है और जो उत्पादन होता है, उनका शरीर पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
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