पुणे । कोरोना वायरस (Corona virus) से राहत दिलाने के लिए टीके की खोज में अब एक और नई तकनीक पर काम शुरू हो चुका है। देश में पहली बार प्रोटीन नैनो पार्टिकल (Protein nano particle) आधारित टीके पर खोज पूरी हो चुकी है। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Pune-based Serum Institute of India) ने इस टीके के मानव परीक्षण के लिए सरकार से अनुमति मांगी है ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका के कोविडशील्ड के साथसाथ एसआईआई अब प्रोटीन नैनो पार्टिकल टीका पर भी परीक्षण करेगा।
केंद्रीय स्वास्थय मंत्रालय के सूत्रों का कहना है एसआईआई ने हाल ही में इसके लिए आवेदन किया है। अभी इस तकनीक पर तीसरे चरण का परीक्षण यूरोप में संचालित है। लेकिन भारत में अनुमति मिलने के बाद शुरू होगा। वहीं बीते 17 दिसंबर को हुई विशेष समूह की बैठक में इस नए आवेदन पर समीक्षा की गई जिसमें समूह में फैसला लिया कि प्लैसबो आर्म को भी परीक्षण में शामिल करना होगा। साथ ही दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण का डिजाइन में बदलाव करना होगा। इसके अलावा समूह ने दूसरे चरण के परीक्षण परिणाम बी मांगे हैं।
मार्च तक मिल सकते हैं आठ तरह के टीके
टीकों को लेकर गठित विशेष समूह के ही एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि इस तकनीक के जरिए एक प्रकार से वायरस की प्रोटीन संरचना को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसा करने से वायरस को निष्क्रिय करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने बताया कि अगर सबकुछ समय पर शुरू हुआ तो मार्च 2021 तक भारत में कम से कम सात से आठ तरह के टीके उपलब्ध हो सकते हैं। ऐसा होने टीकों की कीमतों पर भी असर आएगा। उन्होंने कहा कि देश की बड़ी आबादी को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा टीके उपलब्ध होना जरूरी है।
कोविशील्ड होगा पहला टीका
कोरोना का पहला टीका भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का ही रहेगा। वैल्लोर स्थित सीएमसी की वरिष्ठ डॉक्टर और टीका विशेषज्ञ डॉ. गगनदीप कांग ने कहा कि अभी तक सरकार को तीन तीन अलग-अलग आवेदन मिले हैं। लेकिन सीरम की तरफ से सभी तरह का डाटा उपलब्ध करा दिया है। उन्होंने कहा कि अगर दस्तवेजों के आधार पर बात करें तो इसी साल के अंत तक भारत को पहला टीका मिल सकता है। यह टीका ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका कंपनी की ओर से तैयार कोविशील्ड हो सकता है।
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