रामेश्वर धाकड़
भोपाल। मप्र सरकार के सचिवालय (मंत्रालय)में सुरक्षा को लेकर गंभीर लापरवाही सामने आई है। मंत्रालय में सुरक्षा के चलते जगह-जगह लगाए गए कैमरे बंद पड़े हैं। हाल ही में मंत्रालय में कर्मचारियों को कक्ष में घुसकर धमकी देने के मामले की तफ्तीश में यह बड़ी खामी उजागर हुई है। कैमरे बंद होने का मामला महीनों से बड़े अफसरों के संज्ञान में है। फिर भी लापरवाही बरती जा रही है। मंत्रालय में सुरक्षा से लेकर सभी तरह की व्यवस्थाओं का जिम्मा सामान्य प्रशासन विभाग के पास है। मंत्रालय सुरक्षा में लगे पुलिस के अधिकारी एवं कर्मचारी सामान्य प्रशासन विभाग में प्रतिनियुक्ति पर आते हैं। परिसर में लगे कैमरों का रख-रखाव भी इसी विभाग के पास है। हाल ही में मंत्रालस सुरक्षा अधिकारी विनोद विनोद पांडेय ने एक प्रकरण के मामले में लिखित जबाव भेजा है कि ‘मंत्रालय भवन क्रमंाक 1 में लगा सीसीटीवी सिस्टम का अनुबंध समाप्त होने व अधिकांश कैमरे रख-रखाव के अभाव में बंद हैं।
जिम्मेदारों को खबर तक नहीं
मंत्रालय में सुरक्षा में कैमरो की भूमिका अहम है। सुरक्षाकर्मी कैमरों के आधार पर मंत्रालय में अजनबियों से पूछताछ करते हैं। ऐसे में यदि कैमरे खराब होने पर अफसरों की घनघोर लापरवाही सामने आई है। खास बात यह है कि मंत्रालय की अधीक्षक माधवी नागेन्द्र को इसकी जानकारी तक नहीं है। जबकि मंत्रालय मेंं कर्मचारियों को धमकाने के मामले में माधवी नागेन्द्र ने ही जल संसाधन विभाग के अपर सचिव अशीष कुमार को जांच अधिकारी नियुक्त किया था। जांच के लिए जब कर्मचारियों से जुड़े फुटेज मांगे गए थे तब मंत्रालय सुरक्षा अधिकारी ने लिखित जवाब दिया कि कैमरे बंद हैं, अनुबंध खत्म हो हो गया है।
अभी तो सब ठीक-ठाक चल रहा है। कैमरे खराब हंै, यह मेरी जानकारी में ही नहीं है।
माधवी नागेन्द्र
उपसचिव जीएडी एवं अधीक्षक मंत्रालय
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