इंदौर। कलेक्टर की पहल पर इंदौर जिले को भिक्षुकमुक्त बनाने के लिए पहल की जा रही है। शहर के भिक्षुकों को पकडऩे के लिए तैयार सात टीमें शेड्यूल के आधार पर सार्वजनिक चौराहों, मंदिरों और व्यस्ततम मार्गों पर दबिश दे रही हैं, जिसके आधार पर पकड़े गए भिक्षुकों की संख्या दिन-ब- दिन बढ़ती जा रही है। अब इन्हें न केवल भिक्षावृत्ति से दूर कराया जा रहा है, बल्कि रोजगार से भी जोड़ा जा रहा है।
41 दिव्यांग भिक्षुकों को कल उज्जैन के सेवाधाम में विस्थापित कराया गया। इंदौर जिले को भिक्षुकमुक्त बनाने के साथ शहर के दिव्यांगों को सशक्त बनाने की कलेक्टर आशीषसिंह की पहल रंग लाने लगी है। शहर के चौराहे अब लगभग भिक्षुकमुक्त दिखने लगे हैं। हालांकि अब भी दूरस्थ इलाकों में छुटपुट भिक्षावृत्ति देखी जा रही है, जिस पर लगाम लगाने के लिए तैयार की गई सात टीमें दिन-रात नजर रख रही हैं। पिछले डेढ़ महीने से चलाए जा रहे अभियान के दौरान 41 दिव्यांग भिक्षुकों को भी रेस्क्यू किया गया था। अधिकारियों ने इन सभी दिव्यांगों को संस्था प्रवेश के माध्यम से पुनर्वास केंद्र पर रखा गया है। अब इनके इलाज के साथ इनके पुनर्वास और सशक्तिकरण की भी पहल की जा रही है। कई दिव्यांग, जो लंबे समय से बीमारियोंं का शिकार थे, उनका इलाज कराकर शहर के ही कई प्रतिष्ठानों में नौकरी दिलवाई जा रही है। उज्जैन के सेवाधाम आश्रम में इंदौर के भिक्षुकों को शिफ्ट किया गया। ज्ञात हो कि संस्था प्रवेश द्वारा शहर में भिक्षुकमुक्त केंद्र अभियान चलाया जा रहा है। 31 भिक्षुक संस्था में निवासरत हैं, जिन्हें रोजगार दिलाने के लिए प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। संस्था की रूपाली जैन के अनुसार दो भिक्षुकों को ट्रेनिंग देकर सिलाई-कढ़ाई के कार्य में नौकरी दिलाई गई है।
पायलट प्रोजेक्ट खत्म अब स्माइल आएगी
भिक्षुकमुक्ति के लिए चलाए जा रहे पायलट प्रोजेक्ट के खत्म होते ही केंद्र सरकार के स्माइल स्किन प्रोजेक्ट के तहत इंदौर में भिक्षुकों को रोजगार दिलाया जाएगा। गाइड लाइन के अनुसार ऐसे मानसिक रोगी, वृद्धावस्था के शिकार या गंभीर बीमारियों से पीडि़त लोगों को उज्जैन के सेवाधाम में शिफ्ट किया गया है। रूपाली जैन के अनुसार कलेक्टर आशीषसिंह की पहल पर उज्जैन के सेवाधाम ने इंदौर के ऐसे लोगों, जो खुद के काम भी नहीं कर सकते थे उन्हें रखकर बहुत बड़ी मदद की है। पिछले डेढ़ साल से संस्था में कार्यरत केयर टेकर इन लोगों की सेवा कर रहे थे। जब 41 लोग रवाना हुए तो संस्था का माहौल गमगीन हो गया। कई केयर टेकर भिक्षुकों को छोडऩे के लिए उज्जैन तक गए। हालांकि 37 भिक्षुकों को रोजगार के लिए तैयार कर लिया गया है।
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