हद से बढ़े जो इल्म तो है जहल दोस्तो
सब कुछ जो जानते हैं वो कुछ जानते नहीं।
भोपाल के एक बिंदास और क़ाबिल सहाफी (पत्रकार) हैं मनोज कुमार। गुजिश्ता 22 बरसों से ये एक रिसाला निकाल लय हैं। रिसाले का नाम है समागम। ये एक रिसर्च मैगज़ीन है। सहाफत और अदब से बावस्ता मज़मून और रिसर्च स्कॉलरों के आर्टिकल समागम में शाया होते हैं। गोया के हर आर्टिकल एक दस्तावेज होता है समागम का। ये रिसाला खुद अपने आप मे भोत उम्दा रिफरेंस है। मनोज कुमार उन सहाफियों में शुमार किये जा सकते हैं जो ज्ञान को बांटने में यकीन करता है। हमेशा कुछ नया करने की ज़हनियत के चलते अभी दो एक महीने क़ब्ल ममोज कुमार ने समागम संवाद उनवान से सहाफत और मीडिया के तालिबे इल्म (छात्र) के लिए भोत फायदेमंद पिरोगराम शुरु करा हेगा। हर महीने के दूसरे या तीसरे शनिचर को समागम संवाद पिरोगराम शिवाजीनगर में दुष्यन्त कुमार संग्रहालय में सुबह साढ़े ग्यारह बजे समागम संवाद होता है। हर दफे किसी पके हुए तजरबेकार सहाफी को इसमे मदू (आमंत्रित) किया जाता है।
मनोज केते है के देखो साब सहाफत पढ़ रहे बच्चों को यूनिवर्सिटी में जो पढ़ाया जाता है उससे हटके यहां बात होती है। जिस मेहमान को बुलाते है वो अपने जाती तजरबे, सहाफत में किस तरह से आ गया। उसे किन मुश्किलों से दो चार होना पड़ा इसपे बिंदास बात होती है। अभी तक हुए तीन समागम संवाद में आकाशवाणी के न्यूज़ एडिटर संजीव शर्मा, बंसल न्यूज़ के न्यूज़ हेड शरद द्विवेदी और मशहूर फोटोग्राफर गोविंद चौरसिया ने बच्चों को वो गुर बताये जो उने अपनी यूनिवर्सिटी में कभीं नहीं पढ़ाये जा सकते। मेहमान के अपनी बात कहने के बाद बच्चे उनसे सवाल जवाब करते हैं।करीब डेढ़ दो घण्टे का बड़ा दिलचस्प पिरोगराम होता है ये। आखिर में चाय नाश्ते बाद बच्चों को दुष्यन्त कुमार संग्रहालय के निदेशक राजुरकर राज साब म्यूजिय़म की विजिट करा देते हैं। गोया के बच्चे अपने इल्म में इज़ाफ़ा करके विदा होते हैं। अगला समागम संवाद दिसम्बर के दूसरे शनिचर को साढ़े ग्यारह बजे होगा।
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