नई दिल्ली (New Dehli) । केंद्रीय (Central) मंत्रियों का निजी (Personal) सचिव (Secretary) बनकर देशभर में ट्रांसफर (transfer) पोस्टिंग (posting) के खेल का पर्दाफाश कर गाजियाबाद पुलिस ने एक आरोपी (accused)को गिरफ्तार किया है। उसके कब्जे से 32 सिम कार्ड, 27 आधार कार्ड, छह पैन कार्ड और मोबाइल बरामद किए हैं। पकड़ा गया आरोपी अपनी फर्जी आईडी पर सिम कार्ड जारी कराता था। उसके बाद वह उन सिम पर व्हॉट्सऐप चलाने के लिए उनके ओटीपी बेचता था। गिरोह में शामिल अन्य लोग इन फर्जी आईडी के व्हॉट्सऐप से देश के उच्चाधिकारियों को मैसेज करके ट्रांसफर पोस्टिंग तथा अन्य काम कराते थे।
डीसीपी ग्रामीण जोन विवेक चंद्र यादव ने बताया कि फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड तथा अन्य दस्तावेजों पर सिम कार्ड जारी कराने के बाद भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को मैसेज भेजकर धोखाधड़ी करने वाले लोग सक्रिय थे। गिरोह का खुलासा करते हुए एक आरोपी अभिषेक को गिरफ्तार किया गया है। वह थाना बैरगनिया जिला सीतामणी बिहार के गांव बखरी पसनटकीयदु का रहने वाला है और वर्तमान में शाहपुर बम्हैटा के श्रीराम एनक्लेव में रह रहा था। इसके कब्जे से 31 सिम कार्ड, 27 आधार कार्ड, छह पैन कार्ड और पांच मोबाइल बरामद हुए हैं। आरोपी की सभी आईडी पर नाम, पता अलग-अलग है, लेकिन फोटो अभिषेक का ही लगा हुआ है।
अहम मंत्रालयों के नाम से करते थे गुमराह
गिरोह के अन्य लोग इन फर्जी आईडी के व्हॉट्सऐप का इस्तेमाल कर देशभर के सीनियर आईएएस और आईपीएस को मैसेज करते थे। वह अपना परिचय केंद्रीय मंत्रियों के निजी सचिव के रूप में देते थे और फिर उनसे ट्रांसफर पोस्टिंग तथा अन्य काम निकलवाते थे। सूत्रों के मुताबिक आरोपी देश के बड़े और अहम मंत्रियों के निजी सचिव बनकर सीनियर आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को गुमराह कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि आरोपी कई प्रदेशों के मुख्य सचिव और डीजीपी को मैसेज भेजकर ट्रांसफर पोस्टिंग तथा अन्य काम निकलवा चुके हैं। डीसीपी का कहना है कि अधिकारियों को गुमराह करने वाले कुछ लोग चिन्हित हुए हैं, जल्द ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
टेलीग्राम ग्रुप पर बेचता था वाट्सऐप का ओटीपी
डीसीपी ग्रामीण ने बताया कि अभिषेक कुमार उर्फ अभिषेक मिश्रा उर्फ अभिषेक झा और उर्फ अभिषेक तिवारी उर्फ अभिषेक ठाकुर ने अलग-अलग नामों से अपने आधार और पैन कार्ड बनवाए हुए थे, जिन पर वह सिम कार्ड जारी कराता था। करीब 2200 लोगों के एक टेलीग्राम ग्रुप में वह उन लोगों को खोजता था, जो फर्जी आईडी के सिम पर वाट्सऐप नंबर चलाने के इच्छुक होते थे। इच्छा जाहिर करने वाले लोगों से पैसे लेकर वह पहले व्हॉट्सऐप नंबर बताता और फिर उसका ओटीपी शेयर करता। इसके बदले में वह दो सौ से पांच सौ रुपये लेता था।
1. पैसे कमाना पुलिस- सूत्रों के मुताबिक गिरोह के सदस्य किसी आईएएस, आईपीएस या इनके समकक्ष अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग की बजाय निचले स्तर के कर्मचारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग कराते थे। इन कर्मचारियों के ट्रांसफर का मैसेज देखकर डीजीपी या मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी बिना जांच-पड़ताल किए काम करा देते थे। इसके पीछे पहला मकसद सामने आ रहा है कि गिरोह पैसा कमाने के लिए ऐसा करता था।
2. अहम जगहों पर अपने लोग तैनात कराना- गिरोह के सदस्यों द्वारा देश के संवेदनशील, गोपनीय और अहम विभागों में भी सिफारिश की गई है। यह देखकर अंदेशा जताया जा रहा है कि गिरोह के सदस्य निचले स्तर पर अपने लोग तैनात कराकर उनका इस्तेमाल करते थे।
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