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ऑक्‍सीजन उत्‍पादन में MP बनने जा रहा आत्‍मनिर्भर राज्य, 111 ऑक्सीजन प्लांट होने जा रहे शुरू

June 14, 2021

भोपाल । कोरोना महामारी (corona Epidemic) की दूसरी लहर को मध्य प्रदेश सरकार ने चुनौती के रूप में लिया है। साढ़े सात करोड़ की जनसंख्‍या वाला यह राज्‍य अपनी स्वास्थ्य सेवा (health care) को मजबूत करने के लिए तत्पर है। इस दिशा में मध्‍य प्रदेश सरकार के प्रयास दिखाई दे रहे हैं।

कोरोना काल में जिस तरह देश के कई अस्पतालों में ऑक्‍सीजन (Oxygen) की कमी हुई और मरीजों की मृत्‍यु का कारण बनी, उससे मध्य प्रदेश की शिवराज राज्य ने सबक लिया है। इस विपरीत परस्थिति में राज्‍य ने ऑक्सीजन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की ओर कदम बढ़ाने में ही अपना हित देखा और इस दिशा में तेजी के साथ अपने कार्य शुरू कर दिये हैं। अब इसके सकारात्‍मक परिणाम सामने आने लगे हैं।


ऑक्‍सीजन प्‍लांट लगाने में मिल रही केंद्र सरकार की मदद
दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) को ऑक्सीजन उत्पादन (oxygen production) में आत्म-निर्भर बनाने के विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। मप्र सरकार ने नई नीति के तहत ऑक्सीजन प्लांट लगाने पर 75 करोड़ रुपए तक की सहायता राशि देने के साथ ही सरकारी स्‍तर पर अपने अस्‍पतालों में ऑक्‍सीजन प्‍लांट लगाना शुरू किया है। जिसमें अब तक कई पीएसए ऑक्सीजन प्लांट शुरू हो चुके हैं। इसमें प्रदेश को लगातार केंद्र सरकार की मदद मिल रही है।

डीआरडीओ कर रहा है ऑनसाईट ऑक्सीजन गैस जनरेटर प्लांट विकसित
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Union Petroleum Minister Dharmendra Pradhan) कहते हैं, ‘ऑक्सीजन की उपलब्धता के मामले में केंद्र एवं मध्य प्रदेश शासन लगातार मिलकर कार्य कर रहे हैं। शीघ्र ही मध्य प्रदेश ऑक्सीजन के मामले में आत्म-निर्भर होगा।’

रक्षा मंत्रालय की एजेंसी डीआरडीओ द्वारा अस्पताल में ही नई डेबेल तकनीक के आधार पर चलने वाले ऑनसाईट ऑक्सीजन गैस जनरेटर प्लांट विकसित किये गए हैं। मध्य प्रदेश के आठ जिलों बालाघाट, धार, दमोह, जबलपुर, बडवानी, शहडोल, सतना और मंदसौर में पांच करोड़ 87 लाख रुपये से अधिक की लागत के इसी पर तकनीक आधारित 570 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाले ऑनसाईट ऑक्सीजन गैस जनरेटर प्लांट लगाने पर काम हो रहा है।

ऑक्‍सीजन में हर जिला होगा आत्‍मनिर्भर
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) का इस मामले में कहना है कि उन्होंने ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर बनने का फैसला लिया है। इसमें केंद्र भी हमारी मदद कर रहा है। इस मदद के कारण ही हम जल्द ही ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएंगें। सभी जिलों को ऑक्सीजन के मामले में आत्म-निर्भर बनाने के लिए कमर कस ली है।

सहायता का विशिष्ट पैकेज है इन सभी के लिए
गृहमंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा बताते हैं कि 75 करोड़ रुपए तक की सहायता का विशिष्ट पैकेज प्रदान करने वाली इस योजना का लाभ नई यूनिट्स, वर्तमान में चल थी यूनिट्स, मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों और नर्सिंग होम भी उठा सकेंगे। इसमें न्यूनतम 10 क्यूबिक मीटर प्रति घंटा ऑक्सीजन उत्पादन करने वाली इकाइयों को 50 फीसदी की दर और अधिकतम 75 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की जाएगी। इकाइयों को फिलहाल जो इलेक्ट्रिसिटी टैरिफ चल रहा है, उसपर भी एक रुपए प्रति यूनिट की छूट दी जाएगी।

तीन चरणों में हो जाएगा पूरा कार्य
प्रदेश के 13 जिलों में मेडिकल कॉलेज होने से वहां पूर्व से ही ऑक्सीजन की बल्क स्टोरेज यूनिट्स उपलब्ध हैं। प्रदेश के शेष 37 जिलों के लिए राज्य सरकार द्वारा स्वयं के बजट से जिला अस्पतालों में पीएसए तकनीक से तैयार होने वाले नए ऑक्सीजन प्लांट्स लगाए जा रहे हैं।

इनमें से प्रथम चरण में 13 जिलों में, द्वितीय चरण में नौ जिलों में और तृतीय चरण में शेष 15 जिलों में ऑक्सीजन प्लांट्स लग रहे हैं। इससे प्रदेश में ऑक्सीजन के लिए बाहरी स्त्रोतों पर निर्भरता लगभग न के बराबर हो जायेगी।

नवीनतम तकनीक से ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य
कौंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, भारत सरकार द्वारा अधिकृत संस्था के माध्यम से प्रदेश के पांच जिला चिकित्सालयों भोपाल, रीवा, इंदौर, ग्वालियर और शहडोल में नवीनतम वीपीएसए तकनीक आधारित आक्सीजन प्लांट्स एक करोड़ 60 लाख रुपये की लागत से लगाये जा रहे हैं।

इनमें 300 से 400 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन बनेगी, जो लगभग 50 बेड्स के लिए पर्याप्त होगी। इस नवीनतम तकनीक से ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने वाला मध्य प्रदेश, देश का पहला राज्य है। इसके साथ ही राज्‍य में सरकारी अस्पतालों के बेड्स को ऑक्सीजन बेड्स में परिवर्तित करने के लिए पाइप लाइन डालने का कार्य भी युद्ध स्तर पर जारी है।

अब तक लग गए ऑक्‍सीजन के 20 प्लांट
स्वास्थ्य आयुक्त आकाश त्रिपाठी कहते हैं कि राज्य सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल और कम्युनिटी हॉस्टिपटल में 111 हवा से ऑक्सीजन बनाने की अनूठी टेक्नोलॉजी पर आधारित पीएसए (प्रेशर स्विंग, एडजॉर्व्सन) ऑक्सीजन प्लांट लगाने के ऑर्डर दिये गये थे। शासन द्वारा जारी आदेश के अनुक्रम में अब तक 20 प्लांट लगाये जा चुके हैं।

111 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट 30 सितम्बर तक लग जाएंगे यहां
वे बताते हैं कि पीएसए ऑक्सीजन प्लांट को समय पर लगाने के लिये संबंधित निर्माता कम्पनियों को निर्देशित किया गया है। 15 जून तक 25 और 30 जुलाई तक 81 ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कर दिये जाएंगे। जबकि 30 अगस्त तक 91 और 30 सितम्बर तक पूरे 111 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना अस्पतालों में कर दी जायेगी।

इनसे अस्पताल के लिये ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। अस्पतालों में उपलब्ध ऑक्सीजन बेड और आईसीयू आदि को ध्यान में रखते हुए जरूरत की ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित हो सके, इसी अनुक्रम में क्षमता के पीएसए प्लांट लगाये जा रहे हैं।

केन्द्र और राज्य सरकार की मद से प्राप्त राशि से हो रहा पूरा कार्य
उनका कहना है कि इसमें 100 लीटर प्रति मिनिट से लेकर 1500 लीटर प्रति मिनिट की क्षमता वाले पीएसए प्लांट शामिल हैं। पीएसए प्लांट्स की स्थापना 10 बिस्तर के आईसीयू अस्पतालों से लेकर 150 बिस्तर (आईसीयू) वाले अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये की जा रही है। उन्होंने बताया कि पीएसए ऑक्सीजन प्लांट्स की स्थापना केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की मद से प्राप्त राशि से की गई है। (एजेंसी/हि.स.) 

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