बड़ौद। आनंदचंद्र जैन आराधना भवन में साध्वी शुद्धिप्रसन्नाजी की निश्रा में सर्जिकल स्ट्राईक विषय पर प्रवचन हुए। प्रवचन में बताया कि शून्य बनकर रहेंगे तो कोई कीमत नहीं होगी। शून्य के पीछे कितनी भी शून्य लग जाये, पर आगे जब तक एक नहीं लगेगा उसकी कोई किमत नहीं होती। यह एक परमात्मा है, जब प्रभु का हृदय प्राग्ट्य होता है, तब हमारी शून्यता प्रभुता में समाहित हो जाती है। सिमंधर स्वामी की भाव यात्रा हमारी भव यात्री को समाप्त करने में समर्थ है। सेल्फी और सोशल मीडिया के युग में सेल्फ (स्वयं) की पहचान धूमिल हो रही है, परमात्मा से जुड़ा संबंध हमें स्वयं से जोड़कर आत्म दर्शन कराती है। दुनियाँ में अपार अनिष्ट है, और रहने वाले ही है, उनसे बचना है तो धर्म की शरण में जाना आवश्यक हैं।
धर्म ही दुर्गति में जाने से बचा सकता हैं। किसी और की मक्कारी पर क्रोधित होने वाला व्यक्ति जब स्वयं वैसी ही हरकत करता है तो अपने आप को सर्वथा निर्दोष समझता हैं। धर्म हमें स्वयं को देखने का कहता है, स्वयं को शुद्ध करो। संसार में स्थान-स्थान पर कंकर-कांटे बिखरे पड़े है, उसकी टीका-टिप्पणी करने बैठेंगे तो पार नहीं आयेगा। एक मात्र उपाय है अपने पैरों में चप्पल पहन लो और कांटे-कंकर से बचो। दूसरों को सुधारना हमारे बस में नहीं, पर स्वयं को सुधारना हमारे बस में हैं। दृष्टिकोण बदलेगा तो दृष्टि हमेशा सकारात्मकता ग्रहण करेगी। प्रवचन के पूर्व महाविदय क्षेत्र में विचरण करने वाले परमात्मा सिमंधर स्वामी की भाव यात्रा महाराजा इंद्रदेव के द्वारा कराई गयी, जिसका लाभ स्व. फकीरचंद बसंतीलाल चौधरी परिवार बड़ौद के द्वारा लिया गया। परमात्मा सिमंधर स्वामी के समवसरण की अद्भुत रचना की गई।
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