भोपाल। शिवराज सरकार एक बार फिर पोषण आहार की व्यवस्था में बदलाव करने जा रही है। पिछले कार्यकाल में आखिरी में शिवराज सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देश पर पोषण आहार का काम एमपी एग्रो से छीनकर स्वयं सहायता समूहों को देने का फैसला किया था। इस फैसले को पिछले साल बदलकर कमलनाथ सरकार ने वापस एमपी एग्रो को काम सौंप दिया था। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर पोषण आहार वितरण का काम एमपी एग्रो से वापस लेकर स्वय सहायता समूहों को सौंपने जा रहे हैं। इस फैसले से निजी कंपनियां पोषण आहार वितरण की व्यवस्था से बाहर हो जाएंगी। कमलनाथ सरकार द्वारा पोषण आहार प्लांट एमपी एग्रो को सौंपने के फैसला का भाजपा ने खुला विरोध किया था। तब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि पोषाहार वितरण में निजी कंपनियों और ठेकेदारों की भूमिका खत्म करने के लिए स्वंय सहायता समूहों को काम दिया गया था। इसके लिए 110 करोड़ रुपए की लागत से 7 आटोमैटिक संयंत्र स्थापित किए गए थे। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को टेक होम राशन तैयार करने के साथ गुणवत्तापूर्ण पोषाहार वितरण करना था। कैबिनेट प्रेयसी में 11 वीं कंडिका पोषाहार के निजीकरण नहीं होने बिन्दु को भी हटाया गया था। हालांकि इसे अनुमोदन के पहले का बताया गया था।
नाथ सरकार ने पिछले साल ही बदली व्यवस्था
कमलनाथ कैबिनेट में पोषण आहार पर 27 नवंबर 2019 को बड़ा फैसला लिया गया था। कैबिनेट में बदलाव के बाद एमपी एग्रो को काम दे दिया गया था। इसके बाद से एमपी एग्रो के माध्यम से आंगनवाडिय़ों को पोषण आहार सप्लाय किया जा रहा है।
निजी कंपनियों के लिए बदला गया था आदेश
आहार का काम एमपी एग्रो को सौंपने के लिए सरकार ने ग्रामीण विकास विभाग की रिपोर्ट को आधार बनाया था। पोषण आहार प्लांट इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी खामी के चलते आजीविका मिशन के माध्यम से चलाने में असमर्थता जताई थी। इस फैसले पर ग्रामीण पंचायत विकास विभाग की तत्कालीन एसीएस गौरी सिंह ने सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखा था, जिसमें कंपनियों में प्रतिबंध लगाने का प्रावधान था। हालांकि बाद में कैबिनेट प्रेयसी में इन बिन्दुओं का कोई उल्लेख नहीं था। कमलनाथ सरकार के इस फैसले का तब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जमकर विरोध किया था। तब शिवराज ने पूर्व मुख्य सचिव एसआर मोहंती की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए थे। क्योंकि मोहंती ने ही कैबिनेट की प्रेयसी के एक बिंदु को छिपाकर आदेश जारी किए थे।
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