सुपर हिट यादगार गीतों के रचयिता आनंद बक्षी की आज जयंती
हिंदी सिनेमा में जो महान गीतकार हुए हैं, उनमें आनंद बख्शी का नाम शीर्ष पर आता है। आपने हिंदी सिनेमा को 4 हजार से भी अधिक गाने दिए। अमर प्रेम फिल्म के लिए गीत लिखना था वे स्टूडियो में खड़े थे सिगरेट सुलगाते समय जलती हुई माचिस की तीली पानी में गिर गई और यह देख चिंगारी कोई भड़के… गीत की रचना खड़े-खड़े कर दी ।
आज ही के दिन 21 जुलाई 1930 को रावलपिंडी में आनंद बक्षी का जन्म हुआ था। अपने लिखे गानों पर हर किसी को झूमने वाले आनंद भारतीय नेवी और भारतीय सेना में भी नौकरी कर चुके हैं , लेकिन किसी विवाद के चलते उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा। अपने सपनों को साकार करने के लिए आनंद ने मुंबई का रुख किया। इस बार मुंबई में वे उस समय के मशहूर अभिनेता भगवान दादा से मिले। इस दौरान भगवान दादा ने आनंद को अपनी फिल्म भला आदमी में एक गीतकार के रूप में काम करने के लिए कहा। इसी फिल्म से शुरू हुआ हिंदी सिनेमा के एक महान गीतकार आनंद बख्शी का फि़ल्मी जीवन। गीतकार के तौर पर 7 साल तक संघर्ष करने के बाद उन्हें पहचान साल 1965 में जब-जब फूल खिले फिल्म के गीतों से मिली।
इन गीतों से फिल्मों को हिट बनाया
फर्ज दो रास्ते, बॉबी, अमर अकबर एन्थॉनी, इक दूजे के लिए, कटी पतंग, आपकी कसम, महबूबा, रोटी, राजा और रंक, आशा, अर्पण, मोहरा, आराधना , अमर प्रेम, ए हरे रामा हरे कृष्णा, लव स्टोरी, सत्यम् शिवम् सुन्दरम्, कर्ज, हीरो, कर्मा, राम लखन, सौदागर, खलनायक, ताल, यादें, चांदनी, लम्हे, डर, दिल तो पागल है आदि शामिल हैं।
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