दुनियाभर में कोरोना (Corona) के ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. हर दिन कोरोना के डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) के साथ ओमिक्रॉन वेरिएंट के केस सामने आने से कोरोना का ग्राफ तेजी से ऊपर जा रहा है. ओमिक्रॉन (Omicron) के खतरे को देखते हुए अब दुनियाभर में इस बात को लेकर बहस तेज हो गई है कि क्या ओमिक्रॉन वेरिएंट से बचने के लिए अलग वैक्सीन की जरूरत है. नेचर पत्रिका की ओर से इस मामले पर विशेषज्ञों से की गई बातचीत में ज्यादातर विशेषज्ञों की राय अलग-अलग दिखाई पड़ती है. मेडिकोज और उनसे जुड़े शोधकर्ताओं के मुताबिक अभी तक वैज्ञानिक ये तय नहीं कर सके हैं कि ओमिक्रॉन वैक्सीन के लिए उनके पास समय है भी या नहीं.
दुनियाभर में ओमिक्रॉन के आकड़े अब स्थिर होते दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में जब तक ओमिक्रॉन वेरिएंट पर अलग वैक्सीन तैयार होगी तब तक उम्मीद है कि ओमिक्रॉन के मामले कम होने शुरू हो जाएंगे. विशेषज्ञों ने ये भी कहा है कि ओमिक्रॉन के बाद भी कई और वेरिएंट के आने की चेतावनी पहले ही जारी की जा चुकी है. ऐसे में क्या हम उन वेरिएंट के लिए भी अलग वैक्सीन बनाएंगे. बता दें कि दुनियाभर में जो वैक्सीन बनाई गई है वह चीन के वुहान में पाए गए सबसे पहले वायरस SARS-CoV-2 को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है. तब से कोरोना वायरस में कई तरह के बदलाव आ चुके हैं. ओमाइक्रोन स्ट्रेन लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है.
बूस्टर डोज से अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम 92 प्रतिशत तक हो जाता है कम
यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी का कहना है कि वैक्सीन की तीसरी डोज मरीज के अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को 92 प्रतिशत तक कम कर देती है और यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) का कहना है कि यह 90 प्रतिशत तक मरीज को अस्पताल में भर्ती होने से रोक सकती है. हर कोई इस बात से सहमत है कि बूस्टर डोज से सुरक्षा तो मिलती है लेकिन इसकी ताकत भी जल्द ही खत्म हो जाती है. यूके में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि तीसरी खुराक के ठीक 10 सप्ताह बाद, अस्पताल में भर्ती होने की प्रभावशीलता 92 प्रतिशत से गिरकर 83 प्रतिशत हो जाती है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved