भोपाल। मुख्यमंत्री की लिफ्ट बीच में बंद होने के मामले मेें सरकार ने राजधानी परियोजना प्रशासन के दो इंजीनियरों को निलंबित कर दिया है, लेकिन इस कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि मंत्रालय में लिफ्टों का मेंटेंनेंस निजी कंपनी देखती है। कंपनी की जिम्मेदारी है कि समय पर लिफ्टों की जांच करना। जिस लिफ्ट से मुख्यमंत्री उतर रहे थे, वह पहले से खराब थी। लिफ्ट का मेंटेनेंस चल रहा था। बाहर लिफ्ट खराब की सूचना भी लगी थी, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने हठधर्मिता दिखाते हुए मेंटेनेंस स्टाफ को हटाया और सीएम को अंदर ले गए। सुरक्षाकर्मियों की लापरवाही से मुख्यमंत्री की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई है। लिफ्ट पहले से खराब थी। इसी कारण वह चली नहीं और मुख्यमंत्री 3 से 4 मिनट तक लिफ्ट में फंसे रहे। हालांकि इस मामले में राजधानी परियोजना प्रशासन के इंजीनियर शैलेंद्र परमार और सब इंजीनियर मनोज यादव को सस्पेंड कर दिया गया। जबकि सुरक्षाकर्मियों ने इसे अनदेखा किया। जबकि मेंटेनेंस का काम देख रही कंपनी को नोटिस दिया गया है। कंपनी की लापरवाही उजागर होने के बाद मंत्रालय की दूसरी बिल्डिंगों की खराब पड़ी लिफ्टों की मरम्मत शुरू हो गई है। मंत्रालय की पुरानी बिल्डिंग में दो लिफ्ट खराब पड़ी हैं।
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