नई दिल्ली: पाकिस्तान में खुफिया एजेंसी ISI का एक और काला सच सामने आया है. आतंकवादियों को पनाह देने वाली खुफिया एजेंसी अब अपने ही देश के जजों को भी नहीं छोड़ रही है. इस्लामाबाद हाईकोर्ट के जजों ने ISI पर गंभीर आरोप लगाए हैं. साथ ही देश के सुप्रीम ज्यूडीशियल काउंसिल को चिट्ठी लिखकर खुद को ISI के एजेंटों के आतंक से बचाने की गुहार लगाई है. जजों का आरोप है कि उनके बेडरूम में खुफिया कैमरे लगाए जाने के साथ ही उनके रिश्तेदारों को अगवा कर उनपर जुल्म ढाए जा रहे हैं.
इस्लामाबाद हाईकोर्ट के 6 जजों ने पाकिस्तान की सुप्रीम ज्यूडीशियल काउंसिल को चिट्ठी लिखकर उन्हें अपनी व्यथा से अवगत कराया है. इन जजों ने ISI के आतंक से छुटकारा दिलाने की भी गुहार लगाई है. जजों का आरोप है कि आईएसआई जजों के बेडरूम में खुफिया कैमरे लगती है और उनके रिश्तेदारों का अपहरण कर उनके साथ मारपीट करती है. फर्जी वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल भी किया जाता है. इससे परेशान इस्लामाबाद हाईकोर्ट के 6 जजों ने पाकिस्तान के सुप्रीम न्यायिक काउंसिल को चिट्ठी लिखकर आईएसआई का हस्तक्षेप रोकने और जांच कराने की मांग की है.
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी हाईकोर्ट जजों को पिछले दो वर्षों से लगातार परेशान कर रही है और उनसे अपने मन माफिक निर्णय करवाने का दबाव बना रही है. यह शिकायत किसी जनहित याचिका में या किसी आम आदमी द्वारा नहीं, बल्कि खुद इस्लामाबाद हाईकोर्ट के 6 जजों ने पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट और पाकिस्तान सुप्रीम न्यायिक काउंसिल को लिखे पत्र में की है. पत्र में स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि पिछले दो सालों से हाईकोर्ट जजों के बेडरूम में कैमरे लगाए जा रहे हैं, जिससे उनका वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल किया जा सके. हाईकोर्ट जजों द्वारा लिखे गए पत्र में कई उदाहरण दिए गए हैं, जब हाईकोर्ट जज के संबंधियों या परिवार के किसी शख्स का अपहरण कर लिया गया और उनके साथ मारपीट की गई. साथ ही उनसे अनेक दस्तावेज पर जबरन हस्ताक्षर कर लिए गए.
हाईकोर्ट के इन जजों ने बाकायदा मुकदमों के नाम और समय समेत इन तमाम बातों का जिक्र किया है. साथ ही बताया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के दुष्प्रचार के चलते एक जज को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था, जबकि एक जज को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. इस बाबत पाकिस्तान खुफिया एजेंसी के डीजी इंटरनल कम्युनिकेशन और सेक्टर कमांडरों से भी अनेक बार बात की गई, लेकिन उसका कोई हल नहीं निकला. उल्टा उनका उत्पीड़न बढ़ गया. इसमें न्यायाधीशों और उनके परिवारों की धमकी, उत्पीड़न, अपहरण, यातना और ब्लैकमेल की घटनाओं का विवरण दिया गया है. इस संबंध में पिछले दो वर्षों में न्यायाधीशों द्वारा इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आमिर फारूक को लिखे गए पत्र भी सर्वोच्च न्यायिक परिषद को सौंपे गए हैं.
हाईकोर्ट के इन जजों ने अपने पत्र में कहा है- हम अनुरोध करते हैं कि न्यायिक कार्यों में खुफिया अधिकारियों के हस्तक्षेप और न्यायाधीशों को इस तरह से डराने-धमकाने के मामले पर विचार करने के लिए एक न्यायिक सम्मेलन बुलाया जाए, जिसमें इन तमाम आरोपों से जुड़ी जांच को भी सार्वजनिक किया जाए, ताकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनी रह सके. इस्लामाबाद हाईकोर्ट के 6 जजों का यह कबूलनामा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के खिलाफ किसी आरोप पत्र से कम नहीं है. फ़िलहाल हाईकोर्ट जजों की इस चिट्ठी से पाकिस्तान प्रशासन में खलबली मच गई है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved