भोपाल । हौसले बुलंद कर रास्तों पर चल दे, तुझे तेरा मुक़ाम मिल जायेगा, बढ़कर अकेला तू पहलकर, देख कर तुझको काफिला खुद बन जायेगा। इन दिनों मध्य प्रदेश सरकार प्रत्येक दिव्यांग के जीवन में सरकार कुछ इसी तरह से मदद के लिए आगे आई है। हर दिव्यांग को उसके मुकाम तक पहुंचाना ही प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है।
इस समय मध्य प्रदेश में 16 लाख से अधिक दिव्यांग हैं जिनके लिए प्रदेश में पंजीकृत दिव्यांगों को यूनिक डिसएबिलिटी आईडी (यूडीआईडी) नंबर जारी करने की प्रक्रिया जारी है। केंद्र की इस योजना से प्रदेश इस वक्त अपने सार्थक प्रयासों से देश में दूसरे नम्बर पर आ गया है, जिसका परिणाम यह है कि राज्य में दिव्यांगों की तुरंत समस्या का समाधान हो रहा है।
प्रदेश में चल रहीं 13 बड़ी योजनाएं
प्रदेश सरकार ने अपने सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग के जरिये दिव्यांगों के लिये निःशक्त विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति, दृष्टिबाधितों को वाचक भत्ता और उत्कृष्ठ विद्यार्थियों को प्रोत्साहन राशि, छह वर्ष से अधिक आयु के बहुविकलांग और मानसिक रूप से अविकसित नि:शक्तजन के लिए सहायता अनुदान योजना, निःशक्त व्यक्तियों के लिए सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना, मध्यप्रदेश निःशक्त छात्र-छात्राओं के लिए उच्च शिक्षा में दी जाने वाली फीस, निर्वाह भत्ता, परिवहन भत्ता योजना चलाई हैं जिससे उन्हें सरकारी स्तर पर अधिक से अधिक लाभ मिल सके। इसके अलावा उनके लिए नि:शक्तजनों हेतु विवाह प्रोत्साहन योजना, निःशक्त विद्यार्थियों हेतु छात्रगृह योजना, निःशक्त विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हेतु विदेश अध्ययन हेतु छात्रवृत्ति योजना, मुख्यमंत्री नि:शक्त शिक्षा प्रोत्साहन योजना, नि:शक्त व्यक्तियों को विशेष साधन-उपकरण प्रदान योजना एवं शल्यक्रिया उपचार सहायता, दृष्टिबाधित दिव्यांगजनों हेतु कम्यूटर प्रशिक्षण योजना और मध्य प्रदेश विकलांग पेंशन योजना-2020 भी संचालित हैं।
मोबाइल ऐप के जरिए एक ही प्लेट फॉर्म पर सभी सुविधाएं लाने जा रही सरकार
प्रदेश में हो रहे दिव्यांगों के हित में कार्यों को लेकर सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव प्रतीक हजेला ने बताया कि दिव्यांगों के लिए अतिशीघ्र सरकार एक नया मोबाइल ऐप लाने जा रही है जिसके जरिए मप्र सरकार की सभी सुविधाएं एक ही प्लेट फॉर्म पर उपलब्ध होंगी। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश सरकार ने सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण के लिए पर्याप्त बजट रखा है और उसके अंतर्गत तमाम नए कार्य और योजनाएं भी शुरू हुई हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के पहले की स्थिति फिर वापस आ रही है।
प्रदेश में 21 प्रकार की दिव्यांगता चिन्हित करने का हो रहा है कार्य
इस संबंध में आयुक्त नि:शक्तजन संदीप रजक कहते हैं कि दिव्यांगों के लिए पेंशन योजना भी संचालित है, जिसका बहुत बड़ा सहारा प्रदेश के दिव्यांगों को मिल रहा है। वर्ष 2011 की मतगणना के आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश में साढ़े पंद्रह लाख से अधिक दिव्यांग जन हैं। बीते 09 साल में इनकी संख्या निश्चित ही अब 16 लाख पार कर चुकी होगी, इन सभी के लिए सरकार ने हर संभव, प्रत्येक स्तर पर सहायतार्थ योजना बनाई हैं। आयुक्त रजक ने बताया कि पहले सिर्फ 07 प्रकार की दिव्यांगता चिन्हित थी, लेकिन अब केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयास से यह 21 प्रकार में चिन्हित की जा रही है। इसके पीछे उद्देश्य यही है कि कोई भी दिव्यांगजन शासन-समाज के हित व सहयोग से वंचित न रह सके। इसके लिए भारत सरकार स्वावलंबन कार्ड या कहें ‘यूडीआईडी कार्ड’ लाई है। इस स्वावलंबन कार्ड के माध्यम से प्रत्येक दिव्यांग कई योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
यूनिक विकलांगता आईडी में दूसरे नम्बर पर है मप्र
उन्होंने बताया कि सभी दिव्यांगों को यूनिक विकलांगता आईडी (यूडीआईडी) कार्ड विशिष्ट पहचान दिलाता है। इसलिए इस कार्ड पर इन दिनों फोकस करके प्रदेश में विशेष कार्य किया जा रहा है। दिव्यांगों को यूनिक डिसएबिलिटी आईडी (यूडीआईडी) नंबर मिल रहे हैं। इससे दिव्यांगों को प्रमाण पत्र लेकर नहीं घूमना पड़ता है। एक स्मार्ट कार्ड में ही दिव्यांग से संबंधित सभी जानकारी ऑनलाइन रहती है। इससे दिव्यांग सभी प्रकार की सुविधाएं और रियायतों का लाभ अपने जनपद व प्रदेश से बाहर भी उठा रहे हैं। हर जिले में करीब 25 हजार दिव्यांगजनों की यूनिक आईडी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। विभाग के सार्थक प्रयासों से यूडीआईडी बनाने के मामले में मध्य प्रदेश दूसरे नम्बर पर आ गया है।
उनका कहना यह भी था कि प्रदेश के 52 जिलों के बीच लगभग 22-23 संस्थाएं ही दिव्यांग जन के हित में कार्य कर रही हैं, जबकि उनकी संख्या को देखते हुए यह बहुत ही कम हैं। उन्होंने सभी का आह्वान किया किया कि वे दिव्यांगों के सहायतार्थ आगे आएं। सरकार अपनी तरफ से सहयोग के हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन यह प्रयास बिना मानव संसाधन एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के पूरी तरह सफल नहीं हो सकते हैं, इसलिए इस दिशा में अभी प्रदेश में बहुत काम होना बाकी है। (एजेंसी/हिस)
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