इंदौर। निजी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा अधिनियम अधिकार अधिनियम ( आरटीई) के तहत प्रारंभिक कक्षाओं में जरूरतमंद अभिभावकों के बच्चों का प्रवेश कराया जाता है, लेकिन प्रभावशील निजी स्कूल संचालक हमेशा ही अपने यहां आरटीई के तहत बच्चों के प्रवेश नियमों में उलटफेर कर बचने के प्रयास जरूर करते हैं। अब निजी स्कूल संचालक नए मापदंडों को लेकर हाई कोर्ट की शरण में पहुंच गए हैं, जिसके चलते दूसरे दौर की लॉटरी अटक गई है।
राज्य शिक्षा केंद्र ने निजी स्कूलों में केजी 1 व 2, नर्सरी और पहली इन चार कक्षाओं के लिए आरटीई के तहत स्कूल की मौजूदा सीट संख्या से 25 फीसदी आरक्षित कर प्रवेश देने के निर्देश दिए थे। पहले दौर में भी प्रदेश में कई रसूखदार स्कूलों ने प्रवेश देने में आना-कानी की थी। इंदौर में दर्जनभर स्कूलों पर सख्ती से कार्रवाई के बाद प्रवेश दिया गया था। दो स्कूलों में तो स्कूल सील करने तक प्रशासन की टीम पहुंच गई थी। अब 10 अप्रैल को आरटीई के तहत दूसरे दौर की लॉटरी राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल से निकलना थी, लेकिन इसी बीच निजी स्कूल संचालकों ने इंदौर और जबलपुर दोनों जगह हाईकोर्ट में राज्य शिक्षा केंद्र के निर्देश में खामियां बताते हुए निजी स्कूलों में आरटीई के तहत निर्धारित छात्र संख्या पर आपत्तियां जता दी हैं और उन्होंने प्रवेश देने में स्वयं को असमर्थ बताते हुए इसमें रियायत की मांग की है, जिसके चलते सेकंड राउंड की लॉटरी फिलहाल अटक गई है। शिक्षा विभाग के अधिकारी कानूनी सलाह-मशविरा कर न्यायालय में लिखित जवाब की तैयारी कर रहे हैं। आगामी दो से तीन दिनों में मामले में स्थिति साफ होने की संभावना रहेगी, लेकिन तब तक दूसरे दौर की लॉटरी नहीं हो पाएगी
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