नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड नियमों के कथित उल्लंघन के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के खिलाफ न्यायिक कार्यवाही का गुरुवार को निपटारा कर दिया। यह मामला आईडीबीआई म्यूचुअल फंड में बीमा कंपनी की शेयरधारिता से जुड़ा है।
सेबी ने 12 पन्नों के अपने आदेश में कहा कि एलआईसी की ओर से कथित उल्लंघन को आईडीबीआई म्यूचुअल फंड का एलआईसी म्यूचुअल फंड में विलय पूरा करने के लिए उसकी ओर से किए गए प्रयासों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। नियामक ने एलआईसी की ओर से म्यूचुअल फंड (MF) नियमों का कथित तौर पर अनुपालन नहीं करने के मामले में जांच की थी ताकि यह पता लगाया जा सके कि नियमों का कोई उल्लंघन तो नहीं हुआ है।
जांच के दौरान नियामक ने पाया कि आईडीबीआई बैंक आईडीबीआई म्यूचुअल फंड का प्रायोजक है और आईडीबीआई एएमसी में आईडीबीआई कैपिटल मार्केट्स एंड सिक्योरिटीज के माध्यम से सीधे तौर पर उसकी 66.67 प्रतिशत और 33.33 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी है। इसके अलावा, आईडीबीआई एमएफ ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड में आईडीबीआई बैंक की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
इसके बाद सेबी ने कथित उल्लंघन के लिए 31 मई, 2023 को एलआईसी को कारण बताओ नोटिस जारी किया। यह भी देखा गया कि एलआईसी ने 21 जनवरी, 2023 को इक्विटी शेयरों के तरजीही आवंटन के माध्यम से आईडीबीआई बैंक में 51 प्रतिशत की बहुमत हिस्सेदारी हासिल की।
इसके बाद चूंकि एलआईसी के पास 10 प्रतिशत से अधिक शेयरधारिता थी और एएमसी तथा आईडीबीआई एमएफ की ट्रस्टी कंपनी में उसके पास मतदान का अधिकार था, इसलिए यह कथित तौर पर एमएफ नियमों का उल्लंघन था। सेबी के अनुसार नियमों के तहत किसी म्यूचुअल फंड के प्रायोजक, उसकी सहयोगी या समूह कंपनी द्वारा किसी संपत्ति प्रबंधन कंपनी (AMC) या किसी अन्य म्यूचुअल फंड की न्यासी कंपनी में 10 प्रतिशत या उससे अधिक शेयरधारिता या मतदान अधिकार रखने पर रोक है।
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